Independence Day Poem in Hindi : 15 August यानी आज देश की आजादी को 76 बरस पूरे हो गए हैं। देश प्रेम की भावना को हर भारतवासी के दिल में जिंदा रखने और उसमें उफान लाने में देश के कवियों और उनकी कविताओं की भूमिका अहम रही है। बहुत सारे छात्र कवियों की ओजपूर्ण कविताएं गाकर आज भी लोगों की रगों में जोश भर देती हैं। 15 अगस्त के अवसर पर स्कूल, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में विभिन्न प्रतियोगिताएं शुरू होने वाली हैं। स्कूल के स्टूडेंट्स ने पोस्टर मेकिंग, स्पीच, क्वीज और कविताओं की तैयारी शुरू कर दी हैं। देश के सबसे बड़े राष्ट्रीय पर्व के मौके पर आप भी देशभक्ति से जुड़ी कोई कविता या गीत सुनाकर इनाम जीत सकते हैं।

हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता
नन्हे – नन्हे प्यारे – प्यारे, गुलशन को महकाने वाले
सितारे जमीन पर लाने वाले, हम बच्चे है हिंदुस्तान के|
नए जमाने के दिलवाले, तूफ़ानो से ना डरने वाली
कहलाते हैं हिम्मत वाले, हम बच्चे है हिंदुस्तान के|
चलते है हम शान से, बचाते हैं हम द्वेष से
आन पे हो जाएँ कुर्बान, हम बच्चे है हिंदुस्तान के |
Table of Contents
Independence Day Poem
हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता
कवि – मुहम्मद इक़बाल
सारे जहाँ से अच्छा
हिंदुस्तान हमारा
हम बुलबुलें हैं उसकी
वो गुलसिताँ हमारा।
परबत वो सबसे ऊँचा
हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा
वो पासबाँ हमारा।
गोदी में खेलती हैं
जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिनके दम से
रश्क-ए-जिनाँ हमारा।
मज़हब नहीं सिखाता
आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम वतन है
हिंदुस्तान हमारा।
Independence Day Poem
हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता
कवि – श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’
महर्षि मोहन के मुख से निकला,
स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।
सचेत होकर सुना सभी ने,
स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।
रहा हमेशा स्वतन्त्र भारत,
रहेगा फिर भी स्वतन्त्र भारत।
कहेंगे जेलों में बैठकर भी,
स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।
कुमारि, हिमगिरि, अटक, कटक में,
बजेगा डंका स्वतन्त्रता का।
कहेंगे तैतिस करोड़ मिलकर,
स्वतन्त्र भारत, स्वतन्त्र भारत।
हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता
कवि – श्यामलाल गुप्त पार्षद
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला
वीरों को हर्षाने वाला
मातृभूमि का तन-मन सारा
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में,
काँपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जाये भय संकट सारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
इस झंडे के नीचे निर्भय,
हो स्वराज जनता का निश्चय,
बोलो भारत माता की जय,
स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
आओ प्यारे वीरों आओ,
देश-जाति पर बलि-बलि जाओ,
एक साथ सब मिलकर गाओ,
प्यारा भारत देश हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
इसकी शान न जाने पावे,
चाहे जान भले ही जावे,
विश्व-विजय करके दिखलावे,
तब होवे प्रण-पूर्ण हमारा,
झंडा ऊँचा रहे हमारा।
Independence Day Poem
हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता
कवि – मनोज मुंतशिर
सरहद पे गोली खाके जब टूट जाए मेरी सांस
मुझे भेज देना यारों मेरी बूढ़ी मां के पास
बड़ा शौक था उसे मैं घोड़ी चढूं
धमाधम ढोल बजे
तो ऐसा ही करना
मुझे घोड़ी पे लेके जाना
ढोलकें बजाना
पूरे गांव में घुमाना
और मां से कहना
बेटा दूल्हा बनकर आया है
बहू नहीं ला पाया तो क्या
बारात तो लाया है
मेरे बाबूजी, पुराने फ़ौजी, बड़े मनमौजी
कहते थे- बच्चे, तिरंगा लहरा के आना
या तिरंगे में लिपट के आना
कह देना उनसे, उनकी बात रख ली
दुश्मन को पीठ नहीं दिखाई
आख़िरी गोली भी सीने पे खाई
मेरा छोटा भाई, उससे कहना
क्या मेरा वादा निभाएगा
मैं सरहदों से बोल कर आया था
कि एक बेटा जाएगा तो दूसरा आएगा
मेरी छोटी बहना, उससे कहना
मुझे याद था उसका तोहफ़ा
लेकिन अजीब इत्तेफ़ाक़ हो गया
भाई राखी से पहले ही राख हो गया
वो कुएं के सामने वाला घर
दो घड़ी के लिए वहां ज़रूर ठहरना
वहीं तो रहती है वो
जिसके साथ जीने मरने का वादा किया था
उससे कहना
भारत मां का साथ निभाने में उसका साथ छूट गया
एक वादे के लिए दूसरा वादा टूट गया
बस एक आख़िरी गुज़ारिश
आख़िरी ख़्वाहिश
मेरी मौत का मातम न करना
मैने ख़ुद ये शहादत चाही है
मैं जीता हूं मरने के लिए
मेरा नाम सिपाही है
हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता
कवि – रामधारी सिंह ‘दिनकर’
नमो, नमो, नमो।
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!
नमो नगाधिराज – शृंग की विहारिणी!
नमो अनंत सौख्य – शक्ति – शील – धारिणी!
प्रणय – प्रसारिणी, नमो अरिष्ट – वारिणी!
नमो मनुष्य की शुभेषणा – प्रचारिणी!
नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो!
हम न किसी का चाहते तनिक अहित, अपकार।
प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।
सत्य न्याय के हेतु, फहर-फहर ओ केतु
हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु
पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!
तार-तार में हैं गुँथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग!
दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।
सेवक सैन्य कठोर, हम चालीस करोड़
कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर
करते तव जय गान, वीर हुए बलिदान,
अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिंदुस्तान!
प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!
Independence Day Poem
हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता
मेरे भारत की महिमा तो,सभी देवों ने मानी है
तभी तो जन्म लेने की, इसी भूमीं पर ठानी है
यहां श्री राम की मर्यादा , महाभारत की कहानी है
तो आयें साथ मिलकर सब, हमें संस्कृति बढ़ानी है
महात्मा बुद्ध से त्यागी, महावीर से ज्ञानी है
यशोधरा का विरह है तो,पन्ना की कुर्बानी है
करु वर्णन मैं भारत का तो कम लगती कई सदियां
यहां पुरुषों में नारायण,नारी में भवानी है
हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता
कवि – अटल बिहारी वाजपेयी
इंसान जहाँ बेचा जाता, ईमान ख़रीदा जाता है।
सिसकियाँ भरता है, डालर मन में मुस्काता है॥
भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं।
सूखे कंठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं॥
लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया।
पख्तूनों पर, गिलगित पर है ग़मगीन गुलामी का साया॥
बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है॥
दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुन: अखंड बनाएँगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक आज़ादी पर्व मनाएँगे॥
उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोया उसका ध्यान करें॥
Independence Day Poem 2023
हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता
हम बच्चे मतवाले हैं
हम चाँद को छूने वाले हैं !
जो हम से टकराएगा ,
कभी ना वो बच पाएगा !
हम भारत माता के प्यारे
देश के राज दुलारे हैं ,
आजादी के रखवाले हम
नये युग का आगाज हम
देश का नाम सदा करेंगे !
तिरंगे की शान रखेंगे
अपना जीवन हम सब
देश के नाम करेंगे !
हम बच्चे मतवाले है
हम चाँद को छूने वाले हैं !
Independence Day Poem in Hindi
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,
आजादी का मतलब नहीं है समझते।
इस दिन पर स्कूल में तिरंगा है फहराते,
गाकर अपना राष्ट्रगान फिर हम,
तिरंगे का सम्मान है करते,
कुछ देशभक्ति की झांकियों से
दर्शकों को मोहित है करते
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,
आजादी का अर्थ सिर्फ यही है समझते।
वक्ता अपने भाषणों में,
न जाने क्या-क्या है कहते,
उनके अन्तिम शब्दों पर,
बस हम तो ताली है बजाते।
हम नन्हें-मुन्ने है बच्चे,
आजादी का अर्थ सिर्फ इतना ही है समझते।
विद्यालय में सभा की समाप्ति पर,
गुलदाना है बाँटा जाता,
भारत माता की जय के साथ,
स्कूल का अवकाश है हो जाता,
शिक्षकों के डाँट का डर,
इस दिन न हमको है सताता,
हम नन्हें-मुन्ने है बच्चे,
आजादी का अर्थ सिर्फ इतना ही है समझते।
छुट्टी के बाद पतंगबाजी का,
लुफ्त बहुत ही है आता,
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,
बस इतना ही है समझते,
आजादी के अवसर पर हम,
खुल कर बहुत ही मस्ती है करते।।
……भारत माता की जय।
——by Vandana Sharma
Independence Day Poem In Hindi
Independence Day Poem in Hindi
“आजादी की कहानी”
दुनिया में कुछ भी मुश्किल नहीं होता, मन में विश्वास होना चाहिए,
बदलाव लाने के लिए, मन मिटने का भाव होना चाहिए।
बात उस दौर की है जब भारत एक गुलाम था,
हम पर हुकूमत था करता, वो ब्रितानी ताज था।
जुल्म का स्तर कुछ इस प्रकार था की भरी दोपहर में अंधकार था,
हर पल मन एक ही ख्याल सताता, कि अब अगला कौन शिकार था।
किन्तु फिर भी मन में विश्वास था, क्योंकि कलम का ताकत पास था,
जो मौखिक शब्द न कर पाते, ऐसे में ये एक शांत हथियार था।
आक्रोश की ज्वाला धधक रही थी, आंदोलन बन के वो दमक रही थी,
स्वतंत्रता की बात क्या उठी, चिंगारी शोले बन चमक रही थी।
लिख-लिख कर हमने भी गाथा, दिलो में शोलों को भड़काया था,
सत्य अहिंसा को हथियार बनाकर, अंग्रेजों को बाहर का मार्ग दिखाया था।
आसान नहीं था ये सब कर पाना, इतने बड़े स्वप्न को साकार कर पाना,
श्रेय तो जाता उन योद्धाओं को, जिन्होने रातों को भी दिन था माना।
बहुत मिन्नतों बाद दिखा हमें, आजादी का ये सवेरा था,
आओ मिलकर इसे मनाये, फहरा के आज तिरंगा अपना।
हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता
कवि – डॉ परशुराम शुक्ला
भारत माँ के अमर सपूतो, पथ पर आगे बढ़ते जाना
पर्वत, नदिया और समन्दर, हंस कर पार सभी कर जाना।।
तुममे हिमगिरी की ऊँचाई सागर जैसी गहराई है
लहरों की मस्ती और सूरज जैसी तरुनाई है तुममे।।
भगत सिंह, राणा प्रताप का बहता रक्त तुम्हारे तन में
गौतम, गाँधी, महावीर सा रहता सत्य तुम्हारे मन में।।
संकट आया जब धरती पर तुमने भीषण संग्राम किया
मार भगाया दुश्मन को फिर जग में अपना नाम किया।।
आने वाले नए विश्व में तुम भी कुछ करके दिखाना
भारत के उन्नत ललाट को जग में ऊँचा और उठाना।।
हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता
कवि – माखनलाल चतुर्वेदी
प्यारे भारत देश
प्यारेभारत देश
गगन-गगन तेरा यश फहरा
पवन-पवन तेरा बल गहरा
क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले
चरण-चरण संचरण सुनहरा
ओ ऋषियों के त्वेष
प्यारे भारत देश।।
वेदों से बलिदानों तक जो होड़ लगी
प्रथम प्रभात किरण से हिम में जोत जागी
उतर पड़ी गंगा खेतों खलिहानों तक
मानो आँसू आये बलि-महमानों तक
सुख कर जग के क्लेश
प्यारे भारत देश।।
तेरे पर्वत शिखर कि नभ को भू के मौन इशारे
तेरे वन जग उठे पवन से हरित इरादे प्यारे!
राम-कृष्ण के लीलालय में उठे बुद्ध की वाणी
काबा से कैलाश तलक उमड़ी कविता कल्याणी
बातें करे दिनेश
प्यारे भारत देश।।
जपी-तपी, संन्यासी, कर्षक कृष्ण रंग में डूबे
हम सब एक, अनेक रूप में, क्या उभरे क्या ऊबे
सजग एशिया की सीमा में रहता केद नहीं
काले गोरे रंग-बिरंगे हममें भेद नहीं
श्रम के भाग्य निवेश
प्यारे भारत देश।।
वह बज उठी बासुँरी यमुना तट से धीरे-धीरे
उठ आई यह भरत-मेदिनी, शीतल मन्द समीरे
बोल रहा इतिहास, देश सोये रहस्य है खोल रहा
जय प्रयत्न, जिन पर आन्दोलित-जग हँस-हँस जय बोल रहा,
जय-जय अमित अशेष
प्यारे भारत देश।।
Independence Day Poem In Hindi
Independence Day Poem
15 अगस्त 1947 को हो गए थे आजाद हम,
आजादी के इतने साल बाद भी क्या,
समझ पाए आजादी का मतलब हम।
पहले ब्रिटिश शासन के तहत,
जकड़े थे गुलामी के बेड़ियों में,
आज संविधान लागू होने के बाद भी,
जाति-पाति के कारण हो गए हैं,
अपने ही देश में गुलाम हम।
पहले रंग-भेद के जरिए गोरों ने हमको बाँटा था,
आज हमारे अपनो ने ही,
बाँट दिए जातिवाद और धर्मवाद के नाम पर हमें।
जो भारत पहचान था कभी,
एकता, अखण्डता और विविधता का,
वो भारत ही झेल रहा है दंश अब आन्तरिक खंडता का।
बाँधा था जिन महान देशभक्त नेताओं ने,
अपने बलिदानों से एकता के सूत्र में हमें,
अपने ही कर्मों से अब उनकी आत्माओं को,
दे रहे हैं लगातार त्राश हम।
जातिवाद, आरक्षण और धर्मवाद ने,
बुद्धि को हमारी भरमाया है,
राजनेताओं ने अपने हित की खातिर,
हमको आपस में लड़वाया है।
बहुत हुआ सर्वनाश अपना,
कुछ तो खुद को समझाओं अब
देश पर हुए शहीदों की खातिर,
समझो आजादी का मतलब अब।।
जय हिन्द, जय भारत।
15 August Poem in Hindi
“15 अगस्त का दिन है आया”
15 अगस्त का दिन है आया,
लाल किले पर तिरंगा है फहराना,
ये शुभ दिन है हम भारतीयों के जीवन का,
सन् 1947 में इस दिन के महान अवसर पर,
वतन हमारा आजाद हुआ था।
न जाने कितने अमर देशभक्त शहीदों के बलिदानों पर,
न जाने कितने वीरों की कुर्बानियों के बाद,
हमने आजादी को पाया था।
भारत माता की आजादी की खातिर,
वीरों ने अपना सर्वस्व लुटाया था,
उनके बलिदानों की खातिर ही,
दिलानी है भारत को एक नई पहचान।
विकास की राह पर कदमों को,
बस अब यूं-ही बढ़ाते जाना है,
देश को बनाकर एक विकसित राष्ट्र,
एक नया इतिहास बनाना है।
जाति-पाति, ऊँच-नीच के भेदभाव को मिटाना है,
हर भारतवासी को अब अखंडता का पाठ सिखाना है,
वीर शहीदों की कुर्बानियों को अब व्यर्थ नहीं गवाना है,
राष्ट्र का बनाकर उज्ज्वल भविष्य अब,
भारतीयों को आजादी का अर्थ समझाना है।।
…..जय हिन्द, जय भारत।
15 August Poem in Hindi
“स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर”
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है,
विजयी-विश्व का गान अमर है।
देश-हित सबसे पहले है,
बाकि सबका राग अलग है।
स्वतंत्रता दिवस का…………..।
आजादी के पावन अवसर पर,
लाल किले पर तिरंगा फहराना है।
श्रद्धांजलि अर्पण कर अमर ज्योति पर,
देश के शहीदों को नमन करना है।
देश के उज्ज्वल भविष्य की खातिर,
अब बस आगे बढ़ना है।
पूरे विश्व में भारत की शक्ति का,
नया परचम फहराना है।
अपने स्वार्थ को पीछे छोड़ककर,
राष्ट्रहित के लिए लड़ना है।
बात करे जो भेदभाव की,
उसको सबक सिखाना है।
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है,
विजयी विश्व का गान अमर है।
देश हित सबसे पहले है,
बाकी सबका राग अलग है।।
………….जय हिन्द जय भारत।
15 August Poem in Hindi
15 August Poem in Hindi
“भारत: सोने की चिड़िया”
क्या पढ़ते हो किताबों में
आओ मैं तुम्हे बताती हूँ,
15 अगस्त की असली परिभाषा
आज अच्छे से समझाती हूँ।
एक दौर था जब भारत को,
सोने की चिड़िया कहते थे।
कैद कर लिया इस चिड़िये को,
वो शिकारी अंग्रेज कहलाते थे।
कुतर-कुतर कर सारे पंख,
अधमरा कर छोड़ा था।
सांसें चल रही थी बस,
ताकत से अब रिश्ता पुराना था।
कहते हैं कि हिम्मत से बढ़ कर,
दुनिया में और कुछ नहीं होता।
कतरा-कतरा समेट कर,
फिर उठ खड़ी हुई वो चिड़िया।
बिखर गए थे सारे पंख,
तो बिन पंखो के उड़ना सीख लिया।
परिस्थिति चाहे जैसी भी थी दोस्तों,
उसने लड़ना सीख लिया।
लड़ती रही अंतिम सांस तक,
और सफलता उसके हाथ लगी।
आज़ादी की थी चाह मन में,
और वो आज़ादी के घर लौट गयी।
आज उस चिड़िया को हम,
गर्व से भारत बुलाते हैं।
और सीना गद-गद हो जाता,
जब हम भारतीय कहलाते हैं।
आज़ादी का यह पर्व दोस्तों,
आओ मिल कर मनाते हैं,
चाहे रहें हम अमेरिका या लंदन
भारत को आगे बढ़ाते हैं,
भारत के गुण गाते हैं और 15 अगस्त मनाते हैं।
A Poem on Independence Day
“आया पंद्रह अगस्त”
आया पंद्रह अगस्त स्कूल को सब बच्चे गए
हिस्सा बनना है इस पर्व का
उन्होंने पहनकर कपड़े नए
बोले, मां मुझे दिला दो अब तिरंगे नए।।
स्कूल के मंच से देगा भाषण कोई
झांसी, हज़रत, टेरेसा बनेगा कोई
कोई कविता करेगा कोई नृत्य भी
देशभक्ति की बातें करेगा कोई
इक तिरंगे के नीचे सभी झूमेंगे
गीत गाऊंगा जब मैं वतन के लिए
मुझको भी हिस्सा बनना है इस पर्व का
मां मुझे बस दिला दो तिरंगे नए
गांधी नेहरू भगत सिंह है बनना मुझे
वीर अब्दुल हमीद भी है बनना मुझे
जान अपनी जो हंसते हुए दे गए
उन शहीदों के जैसे है मरना मुझे
जान मेरी महज़ एक काफ़ी नहीं
हर जनम हो मेरा इस वतन के लिए
मुझको भी हिस्सा बनना है इस पर्व का
मां मुझे बस दिला दो तिरंगे नए
Independence Day Poem
हिंदी स्वतंत्रता दिवस कविता –
कवि – बिस्मिल अज़ीमाबादी
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार
ले तिरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है
वाए क़िस्मत पाँव की ऐ ज़ोफ़ कुछ चलती नहीं
कारवाँ अपना अभी तक पहली ही मंज़िल में है
रहरव-ए-राह-ए-मोहब्बत रह न जाना राह में
लज़्ज़त-ए-सहरा-नवर्दी दूरी-ए-मंज़िल में है
शौक़ से राह-ए-मोहब्बत की मुसीबत झेल ले
इक ख़ुशी का राज़ पिन्हाँ जादा-ए-मंज़िल में है
आज फिर मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार बार
आएँ वो शौक़-ए-शहादत जिन के जिन के दिल में है
मरने वालो आओ अब गर्दन कटाओ शौक़ से
ये ग़नीमत वक़्त है ख़ंजर कफ़-ए-क़ातिल में है
माने-ए-इज़हार तुम को है हया, हम को अदब
कुछ तुम्हारे दिल के अंदर कुछ हमारे दिल में है
मय-कदा सुनसान ख़ुम उल्टे पड़े हैं जाम चूर
सर-निगूँ बैठा है साक़ी जो तिरी महफ़िल में है
वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ
हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है
अब न अगले वलवले हैं और न वो अरमाँ की भीड़
सिर्फ़ मिट जाने की इक हसरत दिल-ए-‘बिस्मिल’ में है
आपको बता दें कि जब आप हिंदी में स्वतंत्रता दिवस की कविता पढ़ेंगे, तो आपको हर कवि के लिखने का एक अलग अंदाज़ मालूम होगा। यदि आप भी हिंदी कविता लिखना पसंद करते हैं और देश के ऊपर कविता या 15 अगस्त की कविता लिखना चाहते हैं, तो आपको इन कविताओं से भी काफी कुछ सिखने को मिलेगा। आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते है की हमें यह लेख आपको कैसा लगा।