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कालिदास कौन थे? (kalidas kon h)
Kalidasv के जीवन के बारे में बहुत से जानकारी ज्ञात नहीं है। सिर्फ उनके बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। वे अपनी नाटक और कविता के लिए प्रचलित है जो वेदों, रामायणों, महाभारत और पुराणों पर आधारित हैं। उनकी जीवित रचनाओं में तीन नाटक, दो महाकाव्य कविताएँ और दो छोटी कविताएँ शामिल हैं।
kalidas अपनी सरल रचनाओं और अलंकार युक्त सुंदर, और मधुर भाषाओँ के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं।
हेलो दोस्तों”! आज लेख में हम बात करेंगे इतिहास में संस्कृत भाषा के सबसे महान् कवि और नाटककार की। कालिदास नाम का शाब्दिक अर्थ है, “काली का सेवक” कालिदास दिखने में सूंदर थे लेकिन प्रांरभ में वे इतने विद्वान या ज्ञाता नहीं थे।
कालिदास का जीवन परिचय
आज हम आपके लिए संस्कृत भाषा के सबसे प्रसिद्ध कवि और नाटककार कालिदास की कहानी- Kalidas Story लेकर आये हैं। कालिदास (kalidas) को संस्कृत भाषा में वही स्थान प्राप्त है। जो शेक्सपियर का अंग्रेजी भाषा में है। कहाँ जाता है की प्रारंभिक जीवन में वे अनपढ़ और मूर्ख थे इनकी शादी धोखे से विद्योत्तमा नाम की राजकुमारी से हुई जो कालिदास विद्वान समझती थी। बाद में उनको ज्ञात हुआ की कालिदास तो अनपढ़ और मूर्ख है

जन्म काल:-
कालिदास के जन्म का काव्यों में कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है। इसलिए उनके जन्म बारे पता लगाना थोड़ा मुश्किल है। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पंडित दिगंबर झा नामक विद्वान के अनुसार अपनी पुस्तक “मिथिला और कालिदास” में कालिदास को मैथिल और मिथिला का रत्न होने का दावा किया। जिसके अनुसार बिहार के मधुबनी जिले के कालिदास दीह में रहते थे। और कुछ विद्वान उत्तराखंड बताते है।
प्रारंभिक जीवन:-
कालिदास ने शायद ही किसी काव्य या ग्रन्थ में अपने प्रारंभिक जीवन का उल्लेख किया हो यह माना जाता है की वे निर्धन परिवार से थे जिसके कारण पढ़ नहीं सके।
कालिदास की मृत्यु कब हुई
कालिदास कुछ समय के लिए श्रीलंका हुआ थे क्योकि श्रीलंका के राजा कुमारदास, कालिदास के परम मित्र इसलिए उन्होंने कालिदास को श्रीलंका आने के लिए आग्रह किया वहाँ एक वेश्या ने धन के लोभ में आकर कालिदास की हत्या करे दी।
सबसे बड़ा मुर्ख कालिदास को क्यों समझा जाता था? kalidas ki kahani
महान कवि कालिदास को इतिहास का सर्वश्रेष्ठ मूर्ख माना जाता है। इनके बारे में बहुत सी कहानियाँ प्रसिद्ध है जिनमे से एक कहानी:- एक बार की बात है की कालिदास जिस पेड़ पर वह बैठा था, वही डाली काट रहा था। इसे वजह से कालिदास को इतिहास का सर्वश्रेष्ठ मूर्ख माना जाता है। कालिदास अपनी युवावस्था में अनपढ़ और मूर्ख थे। कहा जाता है की कालीदास का जन्म गरीब परिवार में हुआ था इसलिए पढ़ लिख नहीं पाए थे। फिर उनका विवाह विद्योत्तमा नाम की राजकुमारी से हुआ।
कालिदास की वैवाहिक जीवन कहानी (Kalidas Ki Kahani)
राजा शारदानंद की राजकन्या विद्योत्तमा अत्यंत सुंदर होने के साथ ही महान विदुषी थी। उसने शर्त रखी थी कि जो उसे शास्त्रार्थ में पराजित करेगा। वह उसी व्यक्ति से विवाह करेगी। उसी शर्त के लिए राजा शारदानंद ने अनेक विद्वानों को शास्त्रार्थ करने के लिए आमंत्रित किया। आमंत्रित विद्वानों ने शास्त्रार्थ में विद्योत्तमा को हारने के लिए कोशिश की और अपमानित होकर लौट गए। जिसके बाद उन्होंने विद्योत्तमा से अपने अपमान का बदला लेने के लिए विद्योत्तमा की शादी एक मूर्ख व्यक्ति शादी करवाने का पर्ण लिया।
मुर्ख की खोज के लिए अपने सेवको को भेज दिया। रास्ते में उसने कालिदास को देखा जो पेड़ के जिस शाखा पर बैठा था उसी शाखा को काट रहा था उनके लिए कालिदास ही सबसे अच्छा मुर्ख लगा।
इसके बाद विद्वानों की मंडली कालिदास को लेकर विद्योत्तमा पहुंची और कहा कि वह हमारे गुरु हैं। वे आपको बहस में हराने वाले हैं। लेकिन उन्हें चुप्पी की जरूरत है अर्थात उनका मौन व्रत है वे आपने मौन व्रत नहीं तोड़गे वे केवल इशारे आपके प्रश्न का उत्तर देंगे। जो हम आपको शब्दों के माध्यम से बताएंगे।
प्रश्न 1.
विद्योत्तमा और कालिदास को सांकेतिक भाषा में प्रश्न पूछने लगी।
“विद्योत्तमा ने कालिदास को एक उंगली दिखाई’ जो बताता है कि ब्रह्म वह है जो मूल तत्व है”
उत्तर 1.
“लेकिन अनपढ़ कालिदास समझ गए थे कि यह राजकुमारी मेरी एक आंख को तोड़ना चाहती है। इसलिए उसने राजकुमारी को दो उंगलियां दिखाईं।इसका मतलब है कि अगर आप मेरी आंखों में से एक को तोड़ देते हैं। तब मैं तुम्हारी दोनों आंखें फाड़ दूंगा”
लेकिन छात्रों के मंडली ने राजकुमारी को समझाया कि गुरुजी कह रहे हैं कि केवल ब्रह्मा ही पूर्ण नहीं हो सकते। इसलिए 2 मूल तत्व “ब्रह्म और जीव हैं। विद्योत्तमा को उत्तर सही लगा।
विद्योत्तमा का दूसरा प्रश्न:-
इसके बाद विद्योत्तमा ने दूसरे प्रश्न के लिए कालिदास को पांच अंगुलियां दिखाईं। जिसका अर्थ था कि दुनिया के भीतर एकमात्र पांच तत्व पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश हैं। लेकिन कालिदास ने उन्हें दूसरा माना।
कालिदास का उत्तर:-
कालिदास को लगा की राजकुमारी मुझे थप्पड़ मारने के लिए कह रही है। तो जवाब में कालिदास ने मुक्का दिखाया। जिसका अर्थ छात्रों ने समझाया कि पांच तत्व अलग-अलग अप्रभावी हैं। एक बार सभी मिलकर एक हो जाते हैं तो ब्रह्मांड बन जाता है।
इसी तरह बात चलती रही। कालिदास विद्योत्तमा के प्रश्नों का मूर्खतापूर्ण उत्तर देते रहे। लेकिन धूर्त विद्वानों की मंडली उन्हें सुधारती रही। आखिरकार, विद्योत्तमा को कालिदास से शादी करनी पड़ी।
शादी के बाद, विद्योत्तमा को एहसास हुआ कि वह अनपढ़ है और कुछ भी नहीं जानता है। तब विद्योत्तमा ने कालिदास को यह कहकर घर से निकाल दिया कि पहले शिक्षा प्राप्त कर विद्वान बनो फिर मेरे पास आओ। यह बात कालिदास के मन को छू गई और वह मां सरस्वती के मंदिर में जाकर तपस्या करने लगे। मां सरस्वती प्रसन्न होकर अपनी जीभ पर बैठ गईं और उन्हें देखते ही सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो गईं।
सिद्धियां प्राप्ति के उपरांत जब वे घर लौटे तो उन्होंने दरवाजा खट्ट खटाया और संस्कृत भाषा में कहा-
कपाटम् उद्घाट्य सुन्दरी जिसका हिंदी में अनुवाद “दरवाजा खोलो, सुन्दरी” है।
विद्योत्तमा ने आश्रयचकित होकर कहा –
अस्ति कश्चिद् वाग्विशेषः हिंदी अनुवाद:- लगता है कोई विद्वान आया है।
कालिदास ने पत्नी विद्योत्तमा को अपना पहला गुरु माना और उसके इस वाक्य को उन्होंने अपने काव्यों और प्रसगो में भी इसका वर्णन किया है।
कालिदास की प्रमुख रचनाएँ:-
- मालविकाग्निमित्रं
- अभिज्ञानशाकुंतलम
- ऋतुसंहार
- मेघदूतम
- विक्रमोर्वशीयम्
- रघुवंशम
- कुमारसंभवम्