Purn Viram Chinh (।) होता है। हिन्दी भाषा में दो प्रकार के पूर्ण विराम चिह्नों का प्रयोग होता है, जिनमें से पहला है वर्टिकल (खड़ी ) पाई (।) है और दूसरा है – दो खड़ी पाई (।।) दो खड़ी पाई का उपयोग सबसे अधिक हिंदी भाषा के पद्य भाग में होता है। प्राचीन समय समय में जब पद्य हिंदी का प्रयोग अधिक किया जाता था, तब पूर्ण विराम चिन्ह के दोनों रूपों का ही प्रयोग किया जाता था।

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पूर्ण विराम चिन्ह किसे कहते हैं (Purn Viram Chinh Kise Kahate Hain)
‘विराम’ का शाब्दिक अर्थ होता है, ठहराव – ‘रुकना’ या ‘ठहरना’ । हम सबको पता होता है शब्दों को कही ना कही समाप्त करने होते है यानी की किसी वार्ता या वाक्य को व्यक्त करने वाले वाक्य के अंत को चिह्नित करने के लिए प्रयोग किया जाता है सरल शब्दों में- अपने भावों का अर्थ स्पष्ट करने के लिए या एक विचार और उसके प्रसंगों को प्रकट करने के लिए हम रुकते हैं। इसी को विराम कहते है।
उदाहरण:-
ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥
चंद्र सी जोत तुम्हारी, जल निर्मल आता ।
शरण पडें जो तेरी, सो नर तर जाता ॥
॥ ओम जय गंगे माता..॥
पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग क्रिया रहित वक्यांशों में भी किया जाता है, इसलिए पूर्ण विराम चिह्न का प्रयोग करते समय क्रिया के होने या नहीं होने का वहम नहीं होना चाहिए।
पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग (Purn Viram Chinh Ka Prayog)
- पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग साधारण वाक्य, मिश्रित वाक्य तथा संयुक्त वाक्य के अन्त में किया जाता है।
मुकेश पढ़ रहा है। (साधारण वाक्य)
दीपक अख़बार पढ़ रहा है, विवेक खाना बना रहा है। (संयुक्त वाक्य)
यदि तुम भी मेहनत करोगे तो निश्चित ही सफल हो जाओगे। (मिश्र वाक्य)
2. वाक्य में समुच्चयबोधक अव्यय पदों जैसे – (और, परन्तु, अथवा, इसलिए) से पहले भी पूर्ण विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:- राम, लक्ष्मण और सीता वन को गए।
मीरा ने गीत गाया और राधा ने नृत्य किया।
3. पद्य हिंदी में दोहा, सोरठ, चौपाई आदि के अन्त में पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण के लिए:-
हनुमान चालीसा का एक दोहा-
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
4. ऐसे वाक्य जिनमें प्रश्न का भाव तो होता है, लेकिन जो प्रश्नवाचक वाक्य नहीं होते (अप्रत्यक्ष प्रश्नवाचक वाक्य) ऐसे वाक्यों के अन्त में भी पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-राम ने मुझे बतया नहीं की वह खाना खा रहा है।
मुझे नहीं पता की केक किसने खाया।
5. पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग प्रश्नवाचक वाक्यों और विस्मयादिबोधक वाक्यों के अन्त में नहीं किया सकता, क्यूँकि प्रश्नवाचक वाक्यों और विस्मयादिबोधक वाक्यों के अन्त में क्रमशः प्रश्नवाचक चिह्न और विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग करने से ही वाक्य के सम्पूर्ण अर्थ का बोध हो जाता है।
प्रश्नवाचक वाक्यों और विस्मयादिबोधक वाक्यों को छोड़कर सभी तरह के वाक्यों के साथ पूर्ण विराम चिह्न (Purn Viram Chinh) का प्रयोग किया जा सकता है।
जैसे:-हे राम! सबका भला करना।
अरे! तुम कब आई?
कृष्णा जी हमें गणित पढ़ाते हैं।
सीता खाना बना रही है।
वह गाँव कब जाओगी?
पूर्ण विराम चिन्ह के उदाहरण (Purn Viram Chinh Ke Udaharan)
- चला जा।
- आ।
- आइए।
- साँवला-सा रंग।
- पढ़िए।
- महिमा एक सफल महिला है।
- गौरव हॉकी खेलता है।
- धरती गोल है।
- वह बच्चों को पढ़ाई कराती है।
- मैं आज के बाद कभी वहाँ नहीं जाऊँगा।
- राम, श्याम, मोहन आज मिले।
- वह बहुत ही विद्यालय का प्रमुख है।
इन उदाहरणों में पूर्ण विराम चिन्ह (।) द्वारा वाक्यों को संकेतित किया गया है और वाक्यों को समझने में सहायता प्रदान की गई है।
- अवतरण चिह्न या उद्धरण चिन्ह की परिभाषा, भेद और उदाहरण
- योजक चिह्न की परिभाषा एवं उदाहरण सहित जानकारी
- अल्प विराम चिह्न की परिभाषा, प्रयोग और नियम
- विराम चिह्न की परिभाषा, भेद और नियम
पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग कब किया जाता?
पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग किसी वाक्य की समाप्ति, किसी एक विचार या बात की समाप्ति या किसी वाक्यांश के अन्त में किया जाता है। पूर्ण विराम चिन्ह लगाने का अर्थ यह होता है की वाक्य समाप्त हो चूका है।
पूर्ण विराम चिह्न को कैसे लिखा जाता है?
पूर्ण विराम चिह्न (।) को लिखने के लिए आपको एक उच्चारणीय अक्षर की तरह उसे वाक्य के अंत में जोड़ना होगा। आप इसे कीबोर्ड पर यूनिकोड या वर्ड प्रोसेसर के विशेष विराम चिह्न ऑप्शन का उपयोग करके भी लिख सकते हैं।