Su Dhatu Roop:- नमस्कार दोस्तों, हम यहाँ पर आपके लिए संस्कृत धातु रूप से बने Su Dhatu Roop in Sanskrit को लेकर प्रस्तुत हुए है। संस्कृत भाषा में वाक्य का निर्माण करने के लिए धातु के रूप बनते है। वाक्य के लिए एक धातु के कई रूप हो सकते है। सु धातु का अर्थ है ‘स्नान करना, to bathe’। यह स्वादिगण तथा उभयपदी धातु है। सभी उभयपदी स्वादिगण धातु के धातु रूप इसी प्रकार बनते है जैसे- चि/चिञ्, शक् आदि। Su Dhatu Roop संस्कृत में परस्मैपद एवं आत्मनेपद दोनों धातुओं में सभी पुरुष एवं वचनों में नीचे दिए गए हैं।
Table of Contents
सु धातु के पांच लकार इस प्रकार है
लट् लकार – वर्तमान काल
लोट् लकार – आदेशवाचक
लङ् लकार – भूतकाल
विधिलिङ् लकार – चाहिए के अर्थ में
लृट् लकार – भविष्यत् काल
धातु के भी दो रूप होते है
परस्मैपद
आत्मनेपद
सु धातु के रूप (Dhatu Roop of Su) – परस्मैपद
1 . लट् लकार – वर्तमान काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
सुनोति
सुनुतः
सुन्वन्ति
मध्यम पुरुष
सुनोसि
सुनुथः
सुनुथ
उत्तम पुरुष
सुनोमि
सुनुवः
सुनुमः
Su Dhatu Roop
2. लृट् लकार – भविष्यत काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
असुनोत्
असुनुताम्
असुन्वन्
मध्यम पुरुष
असुनोः
असुनुतम्
असुनुत
उत्तम पुरुष
असुनवम्
असुनुव
असुनुम
Su Dhatu Roop
4. लोट् लकार – आज्ञा के अर्थ में
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
सुनोतु
सुनुताम्
सुन्वन्तु
मध्यम पुरुष
सुनु
सुनुतम्
सुनुत
उत्तम पुरुष
सुनवानि
सुनवाव
सुनवाम
Su Dhatu Roop
5. विधिलिङ् लकार – चाहिए के अर्थ में
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
सुनुयात्
सुनुयाताम्
सुनुया
मध्यम पुरुष
सुनुयाः
सुनुयातम्
सुनुयात
उत्तम पुरुष
सुनुयाम्
सुनुयाव
सुनुयाम
Su Dhatu Roop
6. लुङ् लकार – सामान्य भूतकाल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
असावीत्
असाविष्टाम्
असाविषुः
मध्यम पुरुष
असावीः
असाविष्टम्
असाविष्ट
उत्तम पुरुष
असाविषम्
असाविष्व
असाविष्म
Su Dhatu Roop
7. लिट् लकार – परोक्ष भूतकाल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
सुषाव
सुषुवतुः
सुषुवुः
मध्यम पुरुष
सुषविथ
सुषुवथुः
सुषुव
उत्तम पुरुष
सुषव
सुषुविव
सुषुविम
8. लुट् लकार – अनद्यतन भविष्य काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
सोता
सोतारौ
सोतार:
मध्यम पुरुष
सोतासि
सोतास्थ:
सोतास्थ
उत्तम पुरुष
सोतास्मि
सोतास्व:
सोतास्म:
9. आशिर्लिङ् लकार – आशीर्वाद हेतु
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
सूयात्
सूयास्ताम्
सूयासुः
मध्यम पुरुष
सूयाः
सूयास्तम्
सूयास्त
उत्तम पुरुष
सूयासम्
सूयास्व
सूयास्म
10. लृङ् लकार – हेतुहेतुमद् भविष्य काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
असोष्यत्
असोष्यताम्
असोष्यन्
मध्यम पुरुष
असोष्यः
असोष्यतम्
असोष्यत
उत्तम पुरुष
असोष्यम्
असोष्याव
असोष्याम
सु धातु के रूप (Dhatu Roop of Su) – आत्मनेपद
1 . लट् लकार – वर्तमान काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
सुनुते
सुन्वाते
सुन्वते
मध्यम पुरुष
सुनुषे
सुन्वाथे
सुनुध्वे
उत्तम पुरुष
सुन्वे
सुनुवहे
सुनुमहे
2. लृट् लकार – भविष्यत काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
सोष्यते
सोष्येते
सोष्यन्ते
मध्यम पुरुष
सोष्यसे
सोष्येथे
सोष्यध्वे
उत्तम पुरुष
सोष्ये
सोष्यावहे
सोष्यामहे
3. लङ् लकार – भूतकाल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
असुनुत
असुन्वाताम्
असुन्वत
मध्यम पुरुष
असुनुथाः
असुन्वाथाम्
असुनुध्वम्
उत्तम पुरुष
असुन्वि
असुन्वहि
असुन्महि
4. लोट् लकार – आज्ञा के अर्थ में
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
सुनुताम्
सुन्वाताम्
सुन्वताम्
मध्यम पुरुष
सुनुष्व
सुन्वाथाम्
सुनुध्वम्
उत्तम पुरुष
सुनवै
सुनवावहै
सुनवामहै
5. विधिलिङ् लकार – चाहिए के अर्थ में
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
सुन्वीत
सुन्वीयाताम्
सुन्वीरन्
मध्यम पुरुष
सुन्वीथाः
सुन्वीयाथाम्
सुन्वीध्वम्
उत्तम पुरुष
सुन्वीय
सुन्वीवहि
सुन्वीमहि
6. लुङ् लकार – सामान्य भूतकाल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
असोष्ट
असोषाताम्
असोषत
मध्यम पुरुष
असोष्ठाः
असोषाथाम्
असोढ्वम्
उत्तम पुरुष
असोषि
असोष्वहि
असोष्महि
7. लिट् लकार – परोक्ष भूतकाल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
सुषुवे
सुषुवाते
सुषुविरे
मध्यम पुरुष
सुषुविषे
सुषुवाथे
सुषुविध्वे
उत्तम पुरुष
सुषुवे
सुषुविवहे
सुषुविमहे
8. लुट् लकार – अनद्यतन भविष्य काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
सोता
सोतारौ
सोतार:
मध्यम पुरुष
सोतासे
सोतासाथे
सोताध्वे
उत्तम पुरुष
सोताहे
सोतास्वहे
सोतास्महे
9. आशिर्लिङ् लकार – आशीर्वाद हेतु
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
सोषीष्ट
सोषीयास्ताम्
सोषीरन्
मध्यम पुरुष
सोषीष्ठाः
सोषीयास्थाम्
सोषीढ्वम्
उत्तम पुरुष
सोषीय
सोषीवहि
सोषीमहि
10. लृङ् लकार – हेतुहेतुमद् भविष्य काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
असोष्यत
असोष्येताम्
असोष्यन्त
मध्यम पुरुष
असोष्यथाः
असोष्येथाम्
असोष्यध्वम्
उत्तम पुरुष
असोष्ये
असोष्यावहि
असोष्यामहि
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