Agnimath shabd roop: जब संस्कृत में पहली बार शब्द रूप पढ़ाया जाता है, तो सबसे पहले अग्निमथ् (यज्ञ में अग्नि का मंथन करने वाला याज्ञिक ब्राह्मण) शब्द रूप पढ़ाया जाता है। परीक्षाओं में भी खास कर अग्निमथ् शब्द के ऊपर प्रश्न भी आता है। इसलिए अग्निमथ् शब्द विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जाता है। अग्निमथ् (यज्ञ में अग्नि का मंथन करने वाला याज्ञिक ब्राह्मण) शब्द थकारान्त पुल्लिङ्ग् संज्ञा शब्द है। सभी थकारान्त पुल्लिङ्ग् संज्ञाओ के रूप इसी प्रकार बनते हैं।
अग्निमथ् शब्द के रूप सातों विभक्ति में – Agnimath Shabd Roop in Sanskrit
अग्निमथ् शब्द के रूप सातों विभक्ति में एवं तीनों वचनों में नीचे दिये गये हैं:
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | अग्निमत् / अग्निमद् | अग्निमथौ | अग्निमथः |
द्वितीया | अग्निमथम् | अग्निमथौ | अग्निमथः |
तृतीया | अग्निमथा | अग्निमद्भ्याम् | अग्निमद्भिः |
चतुर्थी | अग्निमथे | अग्निमद्भ्याम् | अग्निमद्भ्यः |
पंचमी | अग्निमथः | अग्निमद्भ्याम् | अग्निमद्भ्यः |
षष्ठी | अग्निमथः | अग्निमथोः | अग्निमथाम् |
सप्तमी | अग्निमथि | अग्निमथोः | अग्निमत्सु |
सम्बोधन | हे अग्निमत् / अग्निमद्! | हे अग्निमथौ! | हे अग्निमथः! |

आज के इस लेख में आपको अग्निमथ् शब्द के बारे में सम्पूर्ण जानकारी आप तक पहुचाने का प्रयास किया है अनेक शब्दों के शब्द रूप जाने के लिए नीचे दिए गए है। हमने अनेक शब्दों के शब्द रूपों को अच्छे से आपको समझाया है अगर आपको यह समझ में आया है तो कमेंट में जरूर बताएं। हमारी टीम आपके प्रश्न का उत्तर जरूर देंगे।