भवान्यष्टकम्न – तातो न माता | Bhavani Ashtakam

Bhavani Ashtakam:- भवानी अष्टकम स्तोत्रम एक स्तोत्र है भवानी अष्टकम देवी भवानी या दुर्गा की स्तुति करने वाला एक आठ छंद स्तोत्र है। जिसमें साधक अपने सभी अच्छे और बुरे कर्मों के लिए माँ से क्षमा माँगता है। स्तोत्र देवी महात्म्य से है। भवानी अष्टकम देवी भवानी पर एक प्रसिद्ध राग है, जो अपने संरक्षक और क्षमाशील स्वभाव के लिए जानी जाती है।

Bhavani Ashtakam
Bhavani Ashtakam

|| Bhavani Ashtakam ||

॥ भवानी अष्टकम ॥
न तातो न माता न बन्धुर्न दाता
न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता ।
न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥१॥
भवाब्धावपारे महादुःखभीरु
पपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः ।
कुसंसारपाशप्रबद्धः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥२॥

न जानामि दानं न च ध्यानयोगं
न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम् ।
न जानामि पूजां न च न्यासयोगं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥३॥

न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थ
न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित् ।
न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातर्गतिस्त्वं
गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥४॥

कुकर्मी कुसङ्गी कुबुद्धिः कुदासः
कुलाचारहीनः कदाचारलीनः ।
कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥५॥

प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं
दिनेशं निशीथेश्वरं वा कदाचित् ।
न जानामि चान्यत् सदाहं शरण्ये
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥६॥

विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे
जले चानले पर्वते शत्रुमध्ये ।
अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥७॥

अनाथो दरिद्रो जरारोगयुक्तो
महाक्षीणदीनः सदा जाड्यवक्त्रः ।
विपत्तौ प्रविष्टः प्रनष्टः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥८॥

|| Bhavani Ashtakam In English ||

॥ Bhavani Ashtakam ॥
Na Taato Na Mata Na Bandhurn Data
Na Putro Na Putri Na Bhrtyo Na Bharta ।
Na Jaya Na Vidya Na Vrttirmamaiv
Gatistwan Gatistwan Twameka Bhavaani ॥ 1 ॥
Bhavabdhavapare Mahadu:khbhiru
Papat Prakami Pralobhi Pramattah: ।
Kusansarapashaprabaddhah: Sadahan
Gatistwan Gatistwan Twameka Bhavani ॥ 2 ॥

Na Janami Danan Na Ch Dhyanayogan
Na Janami Tantran Na Ch Stotramantram ।
Na Janami Poojan Na Ch Nyaasayogan
Gatistwan Gatistwan Twameka Bhavani ॥ 3 ॥

Na Janami Punyan Na Janami Teerth
Na Janami Muktin Layan Va Kadachit ।
Na Janami Bhaktin Vratan Vaapi Matargatistwan
Gatistwan Twameka Bhavani ॥ 4 ॥

Kukarmi Kusungi Kubudhih: Kudas:
Kulacharhin: Kadcharlin: ।
Kudrusthi: Kubakyaprabandh: Sadaham
Gatistwan Gatistwan Twameka Bhabani ॥ 5 ॥

Prajeshan Rameshan Maheshan Sureshan
Dineshan Nishitheshvaran Va Kadachit ।
Na Janami Chanyat Sadahan Sharanye
Gatistwan Gatistwan Twameka Bhavani ॥ 6 ॥

Vivade Vishade Pramade Pravase
Jale Chanle Parvate Shatrumadhye ।
Aranye Sharanye Sada Maan Prapahi
Gatistwan Gatistwan Twameka Bhavani ॥ 7 ॥

Anatho Daridro Jararogayukto
Mahakshinadinah: Sada Jadyavaktrah: ।
Vipattau Pravishtah: Pranashtah: Sadahan
Gatistwan Gatistwan Twameka Bhavani ॥ 8 ॥

Bhavani Ashtakam

भवानी अष्टकम की रचना किसने की

शंकराचार्य ने की थी।

भवानी अष्टकम क्या है?

भवानी अष्टकम हिंदू धर्म में एक भक्ति भजन है जो देवी भवानी को समर्पित है, जिन्हें देवी दुर्गा या काली का एक रूप माना जाता है। 
अष्टकम आठ छंदों वाली एक कविता है और इसे देवी के आशीर्वाद का आह्वान करने के लिए एक शक्तिशाली भक्ति भजन माना जाता है।

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