SHABD RACHNA: एक से अधिक वर्णों का ऐसा समूह जिसका कोई निश्चित अर्थ होता है, उसे शब्द कहते हैं। और इन वर्णों के मेल से बनी सार्थक ध्वनि ‘शब्द’ होती है।
जैसे – पुस्तक, रमेश, पेड़
शब्द के भेद /SHABD RACHNA IN HINDI
हम शब्द के भेदों के निम्नलिखित आधार हैं-
- वाक्य में प्रयोग के आधार पर शब्द के भेद
- रचना या बनावट के आधार पर शब्द के भेद
- उत्पत्ति या स्त्रोत के आधार पर शब्द के भेद
- व्याकरणिक प्रकार्य के आधार पर शब्द के भेद
- अर्थ के आधार पर शब्द के भेद।
वाक्य में प्रयोग के आधार पर शब्द के भेद
वाक्य में प्रयोग के प्रयोग के आधार पर शब्द के दो भेद हैं-
- सार्थक शब्द
- निरर्थक शब्द
सार्थक शब्द:
वे शब्द जिनका कुछ ना कुछ अर्थ निकल रहा हो या निकलता हो वे सार्थक शब्द होते है।
जैसे – सेब, रमेश, केला ,पेड़ ,हाथी आदि।
निरर्थक शब्द
निरर्थक शब्द – वे शब्द जिनका कोई भी अर्थ न निकलता हो
जैसे – पानी -वानी , रोटी-वोटी, डांस -वाश,
इनमे वानी, वोटी, वाश, कोई कोई सार्थक अर्थ नहीं निकल रहा है इसलिए ये ‘निरर्थक शब्द‘ है।
शब्दों के प्रकार : रचना या बनावट के आधार पर (हिन्दी व्याकरण)
रचना आधार बनावट के आधार पर शब्दों के तीन भेद हैं–
- रूढ़ शब्द
- यौगिक शब्द
- योगरूढ़ शब्द
रूढ़ शब्द :
वे शब्द जिनका स्वतंत्र रूप से अस्तित्व होता है और खण्ड या टुकड़े करने पर कोई सार्थक अर्थ नहीं निकलता है वे रूढ़ शब्द कहलाते हैं।
रूढ़ शब्द किसी अन्य शब्द या शब्द खण्डों के मेल से नहीं बनते। ये शब्द सदैव स्वतंत्र रहते हैं
जैसे – कठिन, चल, आग, बात, गुण,, फल, सरल,
यौगिक शब्द:
वे शब्द जो दो शब्दों या शब्द के खंडों से मिलकर बनते हैं। इनके अलग-अलग खण्डों का भी अपना अर्थ होता है किंतु आपस में जुड़ कर अर्थ में परिवर्तन ला देते हैं और कोई अर्थ बनवा देते है
जब किसी रूढ़ शब्द के साथ कोई अर्थवान शब्द या शब्द खण्ड (उपसर्ग व प्रत्यय) जुड़ता है तो वह यौगिक शब्द बन जाता है। जैसे :– विधा+आलय, पीला+पन, भोजन+आलय, रेल+गाड़ी
जैसे :– ‘श्रम’ शब्द में शब्दांशों को जोड़ने पर बने यौगिक शब्द शब्द:
- श्रम+इक = श्रमिक
- श्रम+शील = श्रमशील
योगरूढ़ शब्द:
वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों या शब्दांशों से मिलकर बने हों, लेकिन इनका प्रयोग सामान्य अर्थ के लिए न होकर किसी प्रयोग सामान्य अर्थ के लिए न होकर किसी विशेष अर्थ के लिए होता है, योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं।
योग+रूढ़। योग का अर्थ एक से अधिक अवयवों द्वारा निर्मित होना है
रूढ़ का अर्थ किसी विशिष्ट अर्थ का वाचक रूढ़ होता है। इस तरह से देखा जाए तो योगरूढ़ शब्द ‘यौगिक’ व रुढ़ दोनों ही होता है।
उदाहरण :– चारपाई वारिद (बादल), गजानन चंद्रशेखर, पंकज, लंबोदर, नीरज, दशानन,
जैसे की ‘पंकज’ शब्द में ‘पंक’ का अर्थ ‘कीचड़’ होता है एवं ‘अज’ का अर्थ उत्पन्न होना होता है। अतः हम कह सकते हैं कि कीचड़ में उत्पन्न हुआ किंतु कीचड़ में अक्सर ‘कमल’ खिलते हैं अर्थात ‘कमल’ पैदा होते हैं, इसलिए इसका अर्थ ‘कमल’ हुआ।
उत्पत्ति के आधार पर शब्द के चार भेद होते हैं :
- तत्सम शब्द
- तद्भव शब्द
- देशज शब्द
- विदेशी शब्द
तत्सम शब्द
संस्कत के जो शब्द अपना रूप परिवर्तित किए बिना हिंदी में समा गए हैं, यानी वे शब्द जो हिंदी और संस्कृत भाषा में समान रूप से प्रयोग में लाये जाते है। वे ‘तत्सम’ कहलाते हैं। जैसे : दुग्ध, नृत्य, मस्तक, अग्नि, पर्वत, जल, भूमि, वानर, मुख आदि ।
तद्भव शब्द:
वे शब्द जिनकी उत्पत्ति संस्कृत से होती है। और वे बिना किसी बदलाव के हिंदी में रूप का प्रयोग होता है, उन्हें ‘तद्भव’ कहते हैं।
जैसे : दूध, नाच, घी, पोता, भाई, माथा, मोर आदि।
देशज शब्द:
वे शब्द जो क्षेत्रीय प्रभाव से परिस्थिति एवं आवश्यकता के अनरूप निर्मित होकर हिंदी में प्रचलित हो गए हैं, वे ‘देशज’ कहलाते हैं। जैसे : पड़ोसी, जूता खिड़की, पगड़ी, घरौंदा, खिचड़ी झुग्गी, मटका, डिबिया आदि।
विदेशी शब्द:
वे शब्द जिनका उपयोग विदेशी भाषाओं और हिंदी भाषा में दोनों में प्रयोग में लाया जाता है
जैसे: डाॅक्टर, मोटर, शादी, फुटबॉल, स्कूल, पेन
हिंदी में आए कुछ विदेशी शब्द नीचे दिए गए हैं –
(1) अरबी: आवाज, इम्तहान, कागज, किताब, तूफ़ान, मरीज, मुकदमा, सवाल, मौत, शराब, हादशा
(2) तुर्की शब्द: उर्दू कूच़ क़ाबू क़ुली क़ैंची खंजर चाकू कालीन चकमक जाजिम
(3) फ़ारसी शब्द : बाज़ार, हमदर्द , रौशनी, ख़रीदा,. फ़ायदा, रोज़, हफ़्ता, अनार, सफ़ाई, दरवाज़ा, आदत, सफ़ेद, बुज़ुर्ग, अगर, साहब, ज़रूरी, आसमान, मर्ज़ी, किताब, शायद, हिस्सा, हिसाब, हकीम इज़्ज़त, मर्द, मस्ती, मौत, सुबह, मेहमान, आदमी।
(4) अंग्रेजी शब्द: फोटो, कैलेंडर, ग्राउंड, ग्लास, क्रिकेट
(5) चीनी शब्द: चाय, लीची
(6) जापानी शब्द: रिक्शा झम्पान
हिन्दी व्याकरणिक प्रकार्य के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण
व्याकरण के अनुसार प्रयोग के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं-
- विकारी शब्द
- अविकारी शब्द
विकारी शब्द:
वे शब्द जो वचन, लिंग, कारक, काल आदि की दृष्टि से बदल जाते हैं, उन्हें ‘विकारी शब्द’ कहते हैं। ये शब्द परिवर्तनशील होते है।
विकारी शब्द चार प्रकार के होते हैं
- संज्ञा
- सर्वनाम
- विशेषण
- क्रिया
संज्ञा: वस्तुओं के नाम – किताब ,रेडियो ,चद्दर ,पहाड़,
सर्वनाम: तुम, हम, वह, आप, उसका, उसकी
विशेषण: संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। बड़ा, काला, लम्बा, दयालु, भारी, सुंदर, कायर, टेढ़ा
क्रिया: कार्य का करना या होना व्यक्त हो उन्हें क्रिया कहते हैं। जैसे- रोया, खा रहा, जायेगा
अविकारी शब्द
जो शब्द वचन, लिंग, कारक और काल आदि की दृष्टि से बदलाव नहीं लाते है, उन्हें ‘अविकारी शब्द’ कहते हैं।
अविकारी शब्द भी चार प्रकार के होते हैं
- क्रियाविशेषण: धीरे चलता है, दौड़ता है, आगे बढ़ता है आदि शब्द।
- संबंधबोधक: इस प्रकार-पहले, सामने, आगे, पास, परे, द्वारा, बिना, ऊपर, नीचे, भीतर, अंदर आदि शब्द
- समुच्चयबोधक: तब, और, इसलिए, बल्कि, ताकि, वरना, किंतु, परंतु, क्योंकि, या, अथवा, एवं, तथा, अन्यथा, आदि
- विस्मयादिबोधक: वे शब्द जो वाक्य में घृणा, आश्चर्य, हर्ष, शोक, आदि भाव व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त हों उदाहरण : अरे!, आप कौन हो! हे राम, यह कैसे हुआ!
अर्थ के आधार पर शब्द छह प्रकार के होते हैं-
- पर्यायवाची,
- विलोम शब्द
- अनेकार्थी शब्द
- वाक्यांशों के लिए एक शब्द
- एकार्थी
- समानाभासी शब्द-युग्म