Viram Chinh in Hindi: विराम चिन्ह की परिभाषा, उदाहरण, प्रकार और उनका प्रयोग

आज के लेख में हम जानेगे की क्या है विराम चिन्ह और Viram Chinh की परिभाषा क्या है? इसके क्या – क्या उपयोग है और इनका यूज़ किस प्रकार से कहा – कहा किया जाता है विराम चिन्ह के चिन्हो को किस प्रकार प्रदर्शित किया जाता है? अगर आप भी विराम चिन्ह के बारे में जानना चाहते है तो इस लेख को पूर्ण रूप से पढ़े।

VIRAM CHINH IN HINDI

विराम चिन्ह की परिभाषा/ Viram Chinh Definition in Hindi:

विराम का अर्थ है-रुकना या ठहरनावक्ता या लेखन को प्रभावी रूप से अपने भावों व विचारों को व्यक्त करते समय वाक्य के अन्त में या कभी-कभी बीच में ही साँस लेने के लिए रुकता है, इसे ही विराम कहते हैं।

विराम चिन्ह : लेखन में भावों की अभिव्यक्ति, वाक्य का अर्थ स्पष्ट करने, उतार-चढाव और ठहराव को दर्शाने के लिए आवश्यक होते हैं।

हिंदी व्याकरण के विशेषज्ञ कामता प्रसाद गुरु के अनुसार विराम चिन्हों की संख्या 20 मानी है। विशेषज्ञ कामता प्रसाद गुरु के अनुसार पूर्ण विराम (।) को छोड़ कर बाकि सभी विराम चिन्हों को अंग्रेजी से लिया हुआ माना है।

विराम चिन्हों के प्रकार:

हिंदी व्याकरण के विशेषज्ञ कामता प्रसाद गुरु के अनुसार विराम चिन्हों की संख्या 20 मानी है।

  • पूर्ण विराम-चिह्न  (।) (Sign of full-stop )
  • अर्द्ध विराम-चिह्न  (;) (Sign of semi-colon)
  • अल्प विराम-चिह्न  (,) (Sign of comma)
  • प्रश्नवाचक चिह्न  (?) (Sign of interrogation)
  • विस्मयादिबोधक चिह्न  (!) (Sign of exclamation)
  • उद्धरण चिह्न  (” “) (Sign of inverted commas)
  • निर्देशक या रेखिका चिह्न  (—) (Sign of dash)
  • विवरण चिह्न  (:-) (Sign of colon dash)
  • अपूर्ण विराम-चिह्न  (:) (Sign of colon)
  • योजक विराम-चिह्न  (-) (Sign of hyphen)
  • कोष्ठक  () [] {} (Brackets)
  • चिह्न  0/,/. (Sign of abbreviation)
  • चह्न  …/… (Sign of elimination)
  • प्रतिशत चिह्न  (%) (Sign of percentage)
  • समानतासूचक चिह्न  (=) (Sign of equality)
  • तारक चिह्न/पाद-टिप्पणी चिह्न  (*) (Sign of foot note)
  • त्रुटि चिह्न  (^) (Sign of error; indicator)

Purna Viram Chinh,पूर्ण विराम (।)

जब कोई वाक्य खत्म होने पर उसके अंत में पूर्ण विराम चिन्ह का उपयोग किया जाता है। पूर्ण विराम का उपयोग प्रश्नसूचक और विस्मयादि सूचक वाक्यों के आलावा सभी प्रकार के वाक्यों के अंत में किया जाता है।

  1. राम दौड़ लगा कर घर आ चूका है।
  2. तुम घर चले जाओ।
  3. वह कल शाम तक आ जायेगा।

Ardh Viram Chinh / अर्द्ध विराम (;)

अर्द्ध विराम का अर्थ है-आधा विराम। जब किसी वाक्य को कहते हुए बीच में हल्का सा विराम लेना हो पर वाक्य को खत्म न किया जाये वहाँ पर अर्द्ध विराम (;) चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। या जहाँ पूर्ण विराम की अपेक्षा कम विराम लेना हो और अल्प विराम (,) की अपेक्षा ज्यादा विराम (रुकना) हो वहां अर्द्ध विराम (;) का प्रयोग करते हैं।
इसका उपयोग कुछ परिस्थतियो के अनुसार होते है।

  1. जहाँ संयुक्त वाक्यों के मुख्य उपवाक्यों में परस्पर विशेष सम्बन्ध नहीं होता है, वहाँ उनको दो भागो में अर्द्ध विराम द्वारा उन्हें अलग किया जाता है;
    जैसे- उसने आर्मी की दौड़ पास करने के लिए बहुत मेहनत की; लेकिन सभी प्रयास फ़ैल हो गए

2. मिश्र वाक्यों में प्रधान वाक्य के साथ पार्थक्य प्रकट करने के लिए अर्द्ध विराम का प्रयोग किया जाता है
जैसे – जब मेरी जेब में पैसे होंगे; तभी में आपका उधार चूका पाउगा।

3. किसी की उपाधि प्रकट करने के लिए
जैसे – डॉ. बी.ल जायसवाल, एम.ए.; पी.एच.डी.; डी.लिट्

अल्प विराम-चिह्न/ Alp Viram Chinh (,)

ल्प विराम का अर्थ हैन्यून ठहराव। वाक्य में जहाँ बहुत ही कम ठहराव होता है, वहाँ अल्प विराम का प्रयोग होता है। इसका उपयोग थोड़ा कम प्रभावी रूप से कहने के लिए किया जा सकता है।

अंकों को लिखते समय — 1, 2, 3, 4, 5, 6 आदि। ‘हाँ’और ‘नहीं’के बाद
तारीख और महीने का नाम लिखने के बाद — 23 जनवरी, 1897
जैसे:-
हां, में कल तक आ जाउगा।
भाई, जरा इधर आना।

प्रश्नवाचक चिह्न का प्रयोग (?)

जब किसी वाक्य में प्रश्नात्मक भाव हो, उसके अन्त में प्रश्नवाचक चिह्न (?) लगाया जाता है। अर्थात किस से प्रश्न पूछे जाने की अभिव्यक्ति प्रकट करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
जैसे-

  1. तुम चोरी करने वाले तो नहीं लगते?
  2. तुम्हारा नाम क्या है?
  3. तुम कोन हो?

विस्मयादिबोधक चिह्न / आश्चर्य चिन्ह (!)

विस्मयआदि सूचक चिन्ह का उपयोग किसी वाक्य में आश्चर्यभाव, घृणाभाव, शोकभाव, हर्षभाव,अचानक होने वाले कार्यो, आदि भावों का बोध कराने के लिए किया जाता है।
विस्मियादि बोधक शब्दों जैसे –अरे!, अरे यार!, शाबाश!, अच्छा!, हाय!, हे भगवान!, काश!, ओह!, छिः!,  के अन्त में आश्चर्य चिन्ह (!) या विस्मयादि चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
जैसे-

  1. अरे! क्या उसकी सच में नौकरी लग गयी।
  2. वाह! क्या घर है।
  3. वाह! क्या मौसम है।

अवतरण चिन्ह (‘ ’)(“ ”) या उध्दरण चिन्ह / पुनरुक्ति सूचक चिन्ह

किसी वाक्ये में किसी एक शब्द पर जोड़े देने या उसको अलग से दिखाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है
जैसे-

  1. हिन्दुओं का एक प्रमुख ग्रंथ ‘महाभारत’ है।
  2. लाइफ में कुछ करने के लिए ‘मेहनत’ जरुरी है।

हिन्दी भाषा में किसी और के वाक्य या शब्दों को ज्यों-का-त्यों रखने पर भी इस चिह्न (” “) का प्रयोग किया जाता है।
जैसे-

  1. मेरे दादाजी ने कहा था की “मेहनत करने वालो की कभी हार नहीं होती है”।

योजक चिह्न का प्रयोग(-)

योजक चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है-

  1. दो विलोम शब्दों के बीच, जैसे- अनुलोम-विलोम, छोटा-बड़ा
  2. दो समानार्थी शब्दों की पुनरुक्ति के बीच; जैसे- दूर-दूर, पास – पास
  3. दो प्रथम-द्वितीय प्रेरणार्थक के योग के बीच; जैसे- जीतना-जितवाना, पीना-पिलवाना,
  4. गुणवाचक विशेषण के साथ यदि सा, सी का संयोग हो तो उनके बीच; जैसे- छोटा-सी गाडी, प्यारा सा -बच्चा, बड़ा सा घर,
  5. जब विशेषण पदों का प्रयोग संज्ञा के अर्थ में होता है; जैसे- थका-माँदा, लूला-लँगड़ा
  6. द्वन्द्व समास के बीच योजक चिह्न का प्रयोग होता है; जैसे- भाई-बहन, गुरु-शिष्य

निर्देशक या रेखिका चिह्न  (—)

किसी विभाग के मन्तव्य को सुस्पष्ट अथवा विषय-विचार करने के लिए निर्देशक चिह्न या रेखिका चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
निर्देशक या रेखिका का उपयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है-

  • जब किसी कथन को जैसा का तैसा उद्धृत करना होता है, तब उससे पहले रेखिका का प्रयोग किया जाता है;

जैसे-
तुलसी ने कहा है- “परहित सरिस धरम नहिं भाई।

  • वाद या संवादों को लिखने के लिए

दीपक – क्या तुम ऑफिस आओगे?
कृपाल – हां

  • टूटे हुए विचारों को जोड़ने के

जैसे- आज ऐसा लग रहा है की – मैंने इस बुक में से कुछ पढ़ा है

विवरण चिह्न  (:-)

विवरण चिन्ह (:-) का प्रयोग वाक्य में जानकारी, और सूचना या निर्देश आदि को दर्शाने या उनका आगे विवरण देने के लिए किया जाता है।
जैसे –
भारत में विभिन्न प्रकार की मृदा पायी जाती है जिनका विवरण नीचे दिया गया है:-
कृप्या निम्नलिखित ट्रैफिक नियमों का पालन करें :-

अपूर्ण विराम-चिह्न/ Ardh Viram Chinh (:)

जब किस शब्द को मुख्य शब्द के रूप में या उसे अलग से प्रकट करने के लिए (अपूर्ण विराम) (:) का प्रयोग किया जाता है।
जैसे —
विज्ञान : वरदान या अभिशाप

कोष्ठक ( ) [ ] { }

कोष्ठक का उपयोग इसकी शब्द को स्पष्ट करने, या उसके दूसरे अर्थ को लिखने के लिए ,या उससे अधिक जानकारी बताने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। कोष्ठक का प्रयोग मुख्यत वाक्यों में शब्दों के बीच में किया जाता है।
( ) लघु कोष्ठक
{ } मझला कोष्ठक तथा
[ ] दीर्घ कोष्ठक कहते हैं।
जैसे – भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद (जन्म 03 दिसंबर, 1884) थे

पुनरुक्ति सूचक चिन्ह („ „)

पुनरुक्ति सूचक चिन्ह का प्रयोग ऊपर लिखे किसी वाक्य या वाक्य के अंश को दोबारा लिखने का श्रम बचाने ओर ऊपर को निचे की कॉपी दर्शाने के लिए  किया जाता है   के लिए करते हैं।
जैसे की आपको नाम से ही पता चल रहा है की अधिक जल्दी कार्यो को पूरा करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है

दानकर्ता का नाम दान राशी
श्रीमान मान सिंह100 रुपये
श्रीमान गोपाल जी„ „
श्रीमान दक्ष जी201 रुपये
श्रीमान  रामसिंह जी„ „
श्रीमान मान सिंह„ „

संक्षेपसूचक चिह्न का प्रयोग (o,.)

किसी नाम या शब्द के संक्षिप्त रूप के साथ होता है; जैसे-डॉक्टर के लिए (डॉ.)
(शून्य अधिक स्थान घेरता है, अत: इसके स्थान पर बिन्दु (.) का भी प्रयोग किया जाता है।)

लाघव चिन्ह (०)

किसी शब्द का संक्षिप्त या छोटे रूप से लिखने के लिए जैसे डॉक्टर को – डॉ० –  प्रोफेसर को – प्रो० – उत्तर प्रदेश को – उ० प्र० आदि।

तुल्यता सूचक / समानतासूचक (=)

आपको इसके नाम से ही पता चलता है की किसी शब्द अथवा गणित के अंकों के मध्य की तुल्यता या इनकी बराबरी या समानता को दर्शाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है
जैसे –
अ = ब
अशिक्षित = अनपढ़
4*2=8

त्रुटि चिह्न (^)

जब किसी वाक्य अथवा वाक्यांश में अक्षर, पद, पद्यांश या वाक्य के छूट जाने पर छूटे अंश को उस वाक्य के ऊपर लिखने हेतु वाक्य के अंश के नीचे त्रुटि चिह्न का प्रयोग किया जाता है
जैसे-
राम कल (^) गया।
ans.  (^)  अब इसके ऊपर हम लिख सकते है की राम कल जयपुर गया

लोप सूचक चिह्न का प्रयोग (x x x/…./—-)

जब वाक्य या अनुच्छेद में कुछ अंश उद्धरण न देकर कुछ अंश छोड़ दिया जाता है, तब लोप सूचक चिह्न का प्रयोग किया जाता है
जैसे –
देश में हर नागरिक एक ….

प्रतिशत चिह्न (%)

नाम में ही प्रतिशत है तो इसका उपयोग आप जानते ही होंगे इसका उपयोग किसी को संख्या के अन्तर्गत प्रदर्शित करना होता है तो इसके आगे प्रतिशत चिह्न का उपयोग किया जाता है।
भारत के केरल राज्य में शिक्षारत प्रतिशत 98% है

समाप्ति सूचक (-0-, —)

समाप्ति सूचक लम्बे लेख, कहानी, अध्याय अथवा पुस्तक के आखरी में किया जाता है जो लेख, कहानी, अध्याय अथवा पुस्तक समाप्त होने को सूचित करता है।

तारक चिह्न/पाद-टिप्पणी चिह्न  (*)

इसका उपयोग किसी लेख में मुख्य शब्द को इंगित करता है।

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