श्री दशावतार स्तोत्र: प्रलय पयोधि-जले | Shri Dashavtar Stotram

|| Shri Dashavtar Stotram || प्रलय पयोधि-जले धृतवान् असि वेदम्विहित वहित्र-चरित्रम् अखेदम्केशव धृत-मीन-शरीर, जय जगदीश हरेक्षितिर् इह विपुलतरे तिष्ठति तव पृष्ठेधरणि- धारण-किण चक्र-गरिष्ठेकेशव धृत-कूर्म-शरीर जय जगदीश हरे वसति दशन शिखरे धरणी तव लग्नाशशिनि कलंक कलेव निमग्नाकेशव धृत शूकर रूप जय जगदीश हरे तव कर-कमल-वरे नखम् अद्भुत शृंगम्दलित-हिरण्यकशिपु-तनु-भृंगम्केशव धृत-नरहरि रूप जय जगदीश हरे छलयसि विक्रमणे बलिम् […]

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