नमस्कार दोस्तों, हम यहाँ पर आपके लिए संस्कृत धातु रूप से बने Vid Dhatu Roop in Sanskrit को लेकर प्रस्तुत हुए है। संस्कृत भाषा में वाक्य का निर्माण करने के लिए धातु के रूप बनते है। वाक्य के लिए एक धातु के कई रूप हो सकते है। विद् धातु का अर्थ है ‘रहना, to exist’। यह दिवादिगण तथा आत्मनेपदी धातु है। सभी दिवादिगण धातु के धातु रूप इसी प्रकार बनते है जैसे- क्रुध्, दिव्, विद्, नश्, जन्, शम्, नृत्, सिव् आदि। Vid Dhatu Roop संस्कृत में सभी पुरुष एवं वचनों में नीचे दिए गए हैं।
1 . लट् लकार – वर्तमान काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
विद्यते
विद्येते
विद्यन्ते
मध्यम पुरुष
विद्यसे
विद्येथे
विद्यध्वे
उत्तम पुरुष
विद्ये
विद्यावहे
विद्यामहे
Vid Dhatu Roop
2. लृट् लकार – भविष्यत काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
वेत्स्यते
वेत्स्येते
वेत्स्यन्ते
मध्यम पुरुष
वेत्स्यसे
वेत्स्येथे
वेत्स्यध्वे
उत्तम पुरुष
वेत्स्ये
वेत्स्यावहे
वेत्स्यामहे
Vid Dhatu Roop
3. लङ् लकार – भूतकाल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
अविद्यत
अविद्येताम्
अविद्यन्त
मध्यम पुरुष
अविद्यथाः
अविद्येथाम्
अविद्यध्वम्
उत्तम पुरुष
अविद्ये
अविद्यावहि
अविद्यामहि
4. लोट् लकार – आज्ञा के अर्थ में
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
विद्यताम्
विद्येताम्
विद्ययन्ताम्
मध्यम पुरुष
विद्यस्व
विद्येथाम्
विद्यध्वम्
उत्तम पुरुष
विद्यै
विद्यावहै
विद्यामहै
5. विधिलिङ् लकार – चाहिए के अर्थ में
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
विद्येत
विद्येयाताम्
विद्येरन्
मध्यम पुरुष
विद्येथाः
विद्येयाथाम्
विद्येध्वम्
उत्तम पुरुष
विद्येय
विद्येवहि
विद्येमहि
6. लुङ् लकार – सामान्य भूतकाल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
अवित्त
अवित्साताम्
अवित्सत
मध्यम पुरुष
अवित्थाः
अवित्साथाम्
अविद्ध्वम्
उत्तम पुरुष
अवित्सि
अवित्स्वहि
अवित्स्महि
7. लिट् लकार – परोक्ष भूतकाल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
विविदे
विविदाते
विविदिरे
मध्यम पुरुष
विविदिषे
विविदाथे
विविदिध्वे
उत्तम पुरुष
विविदे
विविदिवहे
विविदिमहे
8. लुट् लकार – अनद्यतन भविष्य काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
वेत्ता
वेत्तारौ
वेत्तार:
मध्यम पुरुष
वेत्तासे
वेत्तासाथे
वेत्ताध्वे
उत्तम पुरुष
वेत्ताहे
वेत्तास्वहे
वेत्तास्महे
9. आशिर्लिङ् लकार – आशीर्वाद हेतु
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
वित्सीष्ट
वित्सीयास्ताम्
वित्सीरन्
मध्यम पुरुष
वित्सीष्ठाः
वित्सीयास्थाम्
वित्सीध्वम्
उत्तम पुरुष
वित्सीय
वित्सीवहि
वित्सीमहि
10. लृङ् लकार – हेतुहेतुमद् भविष्य काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
अवेत्स्यत
अवेत्स्येताम्
अवेत्स्यन्त
मध्यम पुरुष
अवेत्स्यथाः
अवेत्स्येथाम्
अवेत्स्यध्वम्
उत्तम पुरुष
अवेत्स्ये
अवेत्स्यावहि
अवेत्स्यामहि
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