अहं ब्रह्मास्मि महावाक्य | Aham Brahmasmi

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Aham Brahmasmi:- अहम् ब्रह्मास्मि मंत्र बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वास्तविकता की परम प्रकृति को व्यक्त करता है। यह मंत्र सभी मंत्रों में से एक है। Aham Brahmasmi mantra को ओम नमः सरस्वती या ओम नमः शिवाय के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा बोला जाता है की इस मंत्र का जाप स्वयं भगवान ब्रह्माजी ने किया था। इस मंत्र का जाप करने से जीवन में अधिक शांतिपूर्ण और संतुष्ट महसूस होती है। और अधिक ऊर्जा और जीवन शक्ति होगी।

Aham Brahmasmi

|| Aham Brahmasmi ||

Aham Brahmasmi:- अहं ब्रह्मास्मि महावाक्य का शाब्दिक अर्थ है मैं ब्रह्म हूँ, यहाँ ‘अस्मि’ शब्द से ब्रह्म और जीव की एकता का बोध होता है। जब जीव परमात्मा का अनुभव कर लेता है, तब वह उसी का रूप हो जाता है। मुझमे ब्रह्म की सर्व शक्तियां हैं या ब्रह्म मुझमे है, यह केवल एक अव्यत्क विचार मात्र है? जैसे हम एक सीधे-साधे निर्धन आदमी से कहें: अरे तू तो अरबपति है। यदि उस आदमी ने कुछ देर के लिए उसे सुना, अपने आसपास देखा, हंसा और कहने वालो को मूर्ख कहकर चला गया।

अहम् ब्रह्मास्मि का क्या अर्थ है?

“मैं ब्रह्म हूं।”


अहम् ब्रह्मास्मि का मतलब क्या होता है?

 मनुष्य की आत्मा होती है।

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