Ayamatma Brahma | अयमात्मा ब्रह्म महावाक्य

|| Ayamatma Brahma ||

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Ayamatma Brahma:- अयम् आत्मा ब्रह्म उपनिषद् के इस महावाक्य के अनुसार आत्मा और परब्रह्म का समीकरण है। अर्थात् व्यक्ति विश्व का रहस्य, जो परब्रह्म को विदित है, अयमात्मा ब्रह्म भारत के पुरातन हिंदू शास्त्रों व उपनिषदों में वर्णित महावाक्य है, जिसका शाब्दिक अर्थ है यह आत्मा ब्रह्म है। यह मंत्र बद्रीनाथ धाम या ज्योतिर्मठ का भी महावाक्य है, जो कि उत्तर दिशा में स्थित भारत के चार धामों में से एक है।

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महावाक्य का अर्थ होता है?

अगर इस एक वाक्य को ही अनुसरण करते हुए अपनी जीवन की परम स्थिति का अनुसंधान कर लें, तो आपका यह जीवन सफलता पूर्वक निर्वाह हो जाएगा। इसलिए इसको महावाक्य कहते हैं।

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