प्रथमेनार्जिता विद्या.. | Prathame Narjita Vidya..

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Prathame Narjita Vidya:- जिसने प्रथम ब्रह्मचर्य आश्रम में विद्या अर्जित नहीं की, द्वितीय गृहस्थ आश्रम में धन अर्जित नहीं किया, तृतीय वानप्रस्थ आश्रम में कीर्ति अर्जित नहीं की, वह चतुर्थ संन्यास आश्रम में क्या करेगा। मनुष्य के जीवन में चार आश्रम होते है ब्रम्हचर्य, गृहस्थ ,वानप्रस्थ और सन्यास। जिसने पहले तीन आश्रमों में निर्धारित कर्तव्य का पालन किया, उसे चौथे आश्रम / सन्यास में मोक्ष के लिए प्रयास नहीं करना पड़ता है।

Prathame Narjita Vidya

|| Prathame Narjita Vidya.. ||

प्रथमेनार्जिता विद्या,
द्वितीयेनार्जितं धनं ।
तृतीयेनार्जितः कीर्तिः,
चतुर्थे किं करिष्यति ॥

सरल रूपांतरण:
प्रथमे नार्जिता विद्या,
द्वितीये नार्जितं धनम् ।
तृतीये नार्जितं पुण्यं,

|| Prathame Narjita Vidya.. In English ||

Prathame Narjita Vidya,
Dvitiye Narjitam Dhanam ।
Trtiye Narjitam Punyam,
Caturthe Kim Karisyati ॥

Prathame Narjita Vidya..

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