Sapta Chiranjeevi Mantra: प्राचीन हिंदू इतिहास और पुराणों के अनुसार ऐसे 7 व्यक्ति हैं, जो चिरंजीवी हैं और यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है। यह सब किसी न किसी वचन, नियम या शाप से बंधे हुए हैं योग में जिन अष्ट सिद्धियों की बात कही गई है वे सारी शक्तियाँ इनमें विद्यमान है। हिंदू धर्म अनुसार इन्हें सात जीवित महामानव कहा जाता है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार Sapta Chiranjeevi Mantra प्रात: स्मरण करने से मनुष्य दीर्घायु और निरोग रहता है। जो इस संसार में आया है या जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु भी निश्चित है क्योकि इस संसार में जो भी जन्म लेता है उसकी मृत्यु अवश्य होती है।
Sapta Chiranjeevi Mantra
अश्वत्थामा बलिव्र्यासो हनूमांश्च विभीषण:। कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥ सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्। जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।। |
हम अक्सर कहानियों में भी सुनते हैं की ब्रह्मा जी किसी भी प्रकार का वरदान दे देते हैं किन्तु अमरता का नहीं, क्योकि अमरता पृथ्वी में संभव नहीं। किन्तु फिर भी इन तथ्यों के उलट कुछ पौराणिक पात्र ऐसे हैं जो की चिरंजीवी है, अर्थात अमर हैं। पौराणिक गाथाओं में ऐसे आठ अमर पात्र हैं जो आज भी अमर है जिनको आज भी मृत्यु प्राप्त नहीं है और वो आज भी हमारे बीच में है इनकी संख्या आठ होने के कारण इन्हे ‘सप्त चिरंजीवी’ कहा जाता है, और इनका नाम जपने पर मनुष्य की आयु बढ़ती है।
Sapta Chiranjeevi कौन-कौन है?
अर्थात: अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम ये 7 महामानव चिरंजीवी हैं। प्राचीन मान्यताओं के आधार पर यदि कोई व्यक्ति हर रोज इन आठ अमर लोगों (अष्ट चिरंजीवी) के नाम भी लेता है तो उसकी उम्र लंबी होती है। यदि इन सात महामानवों और आठवे ऋषि मार्कण्डेय का नित्य स्मरण किया जाए तो शरीर के सारे रोग समाप्त हो जाते है और 100 वर्ष की आयु प्राप्त होती है।
अश्वत्थामा: अश्वथामा जो की गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र था वह भी चिरंजीवी है। शास्त्रों में अश्वत्थामा को भी अमर बताया गया है।
राजा बलि: राजा बलि भक्त प्रहलाद के वंशज हैं। इनकी दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने इनका द्वारपाल बनना स्वीकार किया था।भगवान वामन को अपना सबकुछ दान कर महादानी के रूप में प्रसिद्ध हुए।
हनुमान: हनुमान जी के बारे में तो आप बहुत कुछ जानते होंगे श्रीराम के परम भक्त हनुमानजी को माता सीता ने अजर-अमर होने का वरदान दिया था। इसी वजह से हनुमानजी भी चिरंजीवी माने हैं।
ऋषि मार्कंडेय: ऋषि मार्कंडेय को भगवन शिव का परम भक्त माना जाता है। लेकिन उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र सिद्ध किया और वे चिरंजीवी बन गए।
वेद व्यास: वेद व्यास चारों वेदों ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद का संपादन और 18 पुराणों के रचनाकार हैं।
परशुराम: भगवान विष्णु के दशावतारों में एक हैं परशुराम। परशुराम में पृथ्वी से 21 बार अधर्मी क्षत्रियों का अंत किया गया था।
विभीषण: रावण के छोटे भाई और श्रीराम के भक्त विभीषण भी चिरंजीवी हैं।
कृपाचार्य: महाभारत काल में युद्ध नीति में कुशल होने के साथ ही परम तपस्वी ऋषि है। कृपाचार्य कौरवों और पांडवों के गुरु है।