वयं राष्ट्रे जागृयाम.. | Vayam Rashtre Jagrayam

|| Vayam Rashtre Jagrayam ||

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हिन्दी भावार्थ:-Vayam Rashtre Jagrayam – हम पुरोहित राष्ट्र को जीवंत एवं जाग्रत बनाए रखेंगे। पुरोहित का अर्थ होता है जो इस पुर का हित करता है। प्राचीन भारत में शायद ऐसे व्यक्तियों को पुरोहित कहते थे, जो राष्ट्रीय-चरित्र, राष्ट्रीय-गौरव, राष्ट्रीय-मर्यादा, राष्ट्रीय-आत्मीयता, राष्ट्रीय-समृद्धि आदि की वृद्धि और उत्कर्ष की बात का दूरगामी हित समझकर उसकी प्राप्ति की व्यवस्था करते थे। हे पुरोहितो, इस राष्ट्र में जागृति लाओ और इस राष्ट्र की रक्षा करो। राष्ट्रजागरण का महान् कार्य तो जाग्रत् अन्तःकरण वाले व्यक्तियों का है।

Vayam Rashtre Jagrayam

भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व – भारतीय संस्कृति में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है, यह अध्यात्म-जगत का महत्वपूर्ण उत्सव है, इसे अध्यात्म जगत की बड़ी घटना के रूप में जाना जाता है।गुरुकी सन्निधि, प्रवचन, आशीर्वाद और अनुग्रहजिसे भी भाग्य से मिल जाए उसका तो जीवन कृतार्थता से भर उठता है। क्योंकि गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन। गुरु भवसागर पार पाने में नाविक का दायित्व निभाते हैं।

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