नमस्कार दोस्तों, हम यहाँ पर आपके लिए संस्कृत धातु रूप से बने Kra Dhatu Roop in Sanskrit को लेकर प्रस्तुत हुए है। कृ धातु का अर्थ है ‘करना, to do’। यह तनादिगण तथा उभयपदी धातु है। सभी तनादिगण धातु के धातु रूप इसी प्रकार बनते है जैसे- कृ आदि। कृ धातु के रूप संस्कृत में सभी पुरुष एवं वचनों में नीचे दिए गए हैं।
कृ धातु के पांच लकार होते है
कृ धातु के पांच लकार इस प्रकार है
लट् लकार – वर्तमान काल
लोट् लकार – आदेशवाचक
लङ् लकार – भूतकाल
विधिलिङ् लकार – चाहिए के अर्थ में
लृट् लकार – भविष्यत् काल
कृ धातु के रूप भी दो प्रकार के होते है
परस्मैपद
आत्मनेपद
कृ धातु के रूप (Dhatu Roop of Kra) – परस्मैपद
1 . लट् लकार – वर्तमान काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
करोति
कुरुतः
कुर्वन्ति
मध्यम पुरुष
करोषि
कुरुथः
कुरुथ
उत्तम पुरुष
करोमि
कुर्वः
कुर्मः
Kra Dhatu Roop
2. लृट् लकार – भविष्यत काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
करिष्यति
करिष्यत:
करिष्यन्ति
मध्यम पुरुष
करिष्यसि
करिष्यथ:
करिष्यथ
उत्तम पुरुष
करिष्यामि
करिष्याव:
करिष्याम:
Kra Dhatu Roop
3. लङ् लकार – भूतकाल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
अकरोत्
अकुरुताम्
अकुर्वन्
मध्यम पुरुष
अकरोः
अकुरुतम्
अकुरुत
उत्तम पुरुष
अकरवम्
अकुर्व
अकुर्म
Kra Dhatu Roop
4. लोट् लकार – आज्ञा के अर्थ में
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
करोतु
कुरुताम्
कुर्वन्तु
मध्यम पुरुष
कुरु
कुरुतम्
कुरुत
उत्तम पुरुष
करवाणि
करवाव
करवाम
Kra Dhatu Roop
5. विधिलिङ् लकार – चाहिए के अर्थ में
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
कुर्यात्
कुर्याताम्
कुर्युः
मध्यम पुरुष
कुर्याः
कुर्यातम्
कुर्यात
उत्तम पुरुष
कुर्याम्
कुर्याव
कुर्याम
Kra Dhatu Roop
6. लुङ् लकार – सामान्य भूतकाल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
अकार्षीत्
अकार्ष्टाम्
अकार्षुः
मध्यम पुरुष
अकार्षीः
अकार्ष्टम्
अकार्ष्ट
उत्तम पुरुष
अकार्षम्
अकार्ष्व
अकार्ष्म
Kra Dhatu Roop
7. लिट् लकार – परोक्ष भूतकाल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
चकार
चक्रतुः
चक्रुः
मध्यम पुरुष
चकर्थ
चक्रथुः
चक्र
उत्तम पुरुष
चकर / चकार
चकृव
चकृम
Kra Dhatu Roop
8. लुट् लकार – अनद्यतन भविष्य काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
कर्ता
कर्तारौ
कर्तार:
मध्यम पुरुष
कर्तासि
कर्तास्थ:
कर्तास्थ
उत्तम पुरुष
कर्तास्मि
कर्तास्व:
कर्तास्म:
9. आशिर्लिङ् लकार – आशीर्वाद हेतु
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
क्रियात्
क्रियास्ताम्
क्रियासुः
मध्यम पुरुष
क्रियाः
क्रियास्तम्
क्रियास्त
उत्तम पुरुष
क्रियासम्
क्रियास्व
क्रियास्म
10. लृङ् लकार – हेतुहेतुमद् भविष्य काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
अकरिष्यत्
अकरिष्यताम्
अकरिष्यन्
मध्यम पुरुष
अकरिष्यः
अकरिष्यतम्
अकरिष्यत
उत्तम पुरुष
अकरिष्यम्
अकरिष्याव
अकरिष्याम
कृ धातु के रूप (Dhatu Roop of Kra) – आत्मनेपद
1 . लट् लकार – वर्तमान काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
कुरुते
कुर्वाते
कुर्वते
मध्यम पुरुष
कुरुषे
कुर्वाथे
कुरुध्वे
उत्तम पुरुष
कुर्वे
कुर्वहे
कुर्महे
2. लृट् लकार – भविष्यत काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
करिष्यते
करिष्येते
करिष्यन्ते
मध्यम पुरुष
करिष्यसे
करिष्येथे
करिष्यध्वे
उत्तम पुरुष
करिष्ये
करिष्यावहे
करिष्यामहे
3. लङ् लकार – भूतकाल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
अकुरुत
अकुर्वाताम्
अकुर्वत
मध्यम पुरुष
अकुरुथाः
अकुर्वाथाम्
अकुरुध्वम्
उत्तम पुरुष
अकुर्वि
अकुर्वहि
अकुर्महि
4. लोट् लकार – आज्ञा के अर्थ में
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
कुरुताम्
कुर्वाताम्
कुर्वताम्
मध्यम पुरुष
कुरुष्व
कुर्वाथाम्
कुरुध्वम्
उत्तम पुरुष
करवै
करवावहै
करवामहै
5. विधिलिङ् लकार – चाहिए के अर्थ में
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
कुर्वीत
कुर्वीयाताम्
कुर्वीरन्
मध्यम पुरुष
कुर्वीथाः
कुर्वीयाथाम्
कुर्वीध्वम्
उत्तम पुरुष
कुर्वीय
कुर्वीवहि
कुर्वीमहि
6. लुङ् लकार – सामान्य भूतकाल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
अकृत
अकृषाताम्
अकृषत
मध्यम पुरुष
अकृथाः
अकृषाथाम्
अकृढ्वम्
उत्तम पुरुष
अकृषि
अकृष्वहि
अकृष्महि
7. लिट् लकार – परोक्ष भूतकाल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
चक्रे
चक्राते
चक्रिरे
मध्यम पुरुष
चकृषे
चक्राथे
चकृढ्वे
उत्तम पुरुष
चक्रे
चकृवहे
चकृमहे
8. लुट् लकार – अनद्यतन भविष्य काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
कर्ता
कर्तारौ
कर्तार:
मध्यम पुरुष
कर्तासे
कर्तासाथे
कर्ताध्वे
उत्तम पुरुष
कर्ताहे
कर्तास्वहे
कर्तास्महे
9. आशिर्लिङ् लकार – आशीर्वाद हेतु
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
कृषीष्ट
कृषीयास्ताम्
कृषीरन्
मध्यम पुरुष
कृषीष्ठाः
कृषीयास्थाम्
कृषीध्वम्
उत्तम पुरुष
कृषीय
कृषीवहि
कृषीमहि
10. लृङ् लकार – हेतुहेतुमद् भविष्य काल
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम पुरुष
अकरिष्यत
अकरिष्येताम्
अकरिष्यन्त
मध्यम पुरुष
अकरिष्यथाः
अकरिष्येथाम्
अकरिष्यध्वम्
उत्तम पुरुष
अकरिष्ये
अकरिष्यावहि
अकरिष्यामहि
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