Yojak Chinh in Hindi | योजक चिह्न की परिभाषा एवं उदाहरण सहित जानकारी

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व्याकरण में वह चिह्न(-) जो शब्दों, पदों, उपवाक्यों आदि को जोड़ता है, योजक चिन्ह (Yojak Chinh) कहलाता है। उदाहरण के लिए, लाभ-हानि, लेनी-देनी, घर-घर, जंगल-जंगल, कोना-कोना आदि। संज्ञा का दोहराव करते हुए भी योजक चिन्ह (-) का इस्तेमाल होता है। अतः दो शब्दों के मध्य अर्थ में स्पष्टता लाने के लिए योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
स्टूडेंट्स इस बारें में तो जान गए है की Yojak Chinh क्या होता है? लेकिन यह प्रश्न उठता है की योजक चिह्न लगाने की आवश्यकता क्या है। ऐसा करना क्यों जरूरी है? और यह किसी शब्द के उच्चारण अथवा वर्तनी को भी स्पष्ट करता है? आज के इस लेख में हम सब इन्ही प्रश्नों को जानेगे।

Yojak Chinh
Yojak Chinh

योजक चिह्न (-) Hyphen Explanation in Hindi

योजक चिह्न को इंग्लिश में (-) Hyphen भी कहाँ जाता है।
योजक चिह्न वाक्यांशों या वाक्यों को समान महत्व देता है और उन्हें संयोजित करके एक समूह बनाता है। इसका उपयोग वाक्यों के मध्य या दो शब्दों के बीच में किया जा सकता है। योजक का अर्थ मिलाने वाला या जोड़ने वाला होता है। अतः दो शब्दों के मध्य अर्थ में स्पष्टता लाने के लिए योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
संस्कृत में योजक चिह्न का प्रयोग नहीं होता।

योजक चिन्ह के उदाहरण (Yojak Chinh Ke Udaharan)

  • मुझे दाल-चावल बहुत पसंद है।
  • लेन-देन हमेशा अच्छे लोगो से करनी चाहिए।
  • कम से कम कुछ काम-धाम कर लिया करो।
  • राम-सीता का जैसा कोई नहीं बन सकता है।
  • सुख-दुःख जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
  • ज्यादा लेन-देन का काम मत रखो।
  • मानव-जीवन बहुत ही अनमोल होता है।
  • बूँद-बूँद पानी से घड़ा भरता है।
  • हमें समझ-बूझ से काम करना चाहिए।
  • हर इंसान में देशभक्ति होनी चाहिए।
  • सुख-दुःख जीवन का खेल है।
  • मुझे दाल-भात खाना पसंद है।
  • जीवन में हार-जीत चलती रहती है।
  • अजय मार-पीट करने के लिए हमेशा तैयार रहता है।
  • जीवन के इस बाजार में उतार-चढ़ाव तो सामान्य बात है।
  • वाह क्या बात है! आपने एक-तिहाई वजन कम कर लिया।
  • पृथ्वी पर जो सदा राम-नाम गाते हैं, मैं उन्हें बार-बार प्रणाम करता हूँ।

उदाहरणों में लेन-देन, माता-पिता, रात-दिन, देश-विदेश, झूठ-सच, जन्म-मरण, जड़ चेतन, हानि-लाभ, आकाश- पाताल, पाप-पुण्य, स्त्री-पुरुष, भाई-बहन, देर-सवेर, बेटा बेटी, ऊँच-नीच, गरीब-अमीर, शुभ-अशुभ, लघु-गुरु, स्वर्ग नरक, जय-पराजय, मानव-दानव इत्यादि में योजक चिह्न का प्रयोग होता है।

योजक चिह्न के प्रयोग के नियम (Yojak Chinh Ka Prayog)

योजक चिह्न सामान्यतः दो शब्दों को जोड़ता है और इनमे विपरीत अर्थ वाले शब्दों को जोड़ने के लिए योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- रात-दिन, पाप-पुण्य, अच्छा-बुरा, माता-पिता, सुख-दुख, आगा-पीछा, नीचे-ऊपर, हानि-लाभ, हार-जीत, आना-जाना, उतार-चढ़ाव, उतार-चढ़ाव, उल्टा-सीधा इत्यादि।

शब्दों में लिखी जाने वाली संख्याओं एवं उनके अंशों के मध्य Yojak Chinh का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- एक-तिहाई, दो-चौथाई तीन-तिहाई आदि।

जहाँ दोनों पद प्रधान हो वहाँ दोनों शब्दों के बीच योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है, अर्थात द्वन्द्व समास के सामासिक पद के दोनों पदों के मध्य योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- दाल-चावल, कपड़े-लत्ते, घास-फूस, राग-द्वेष, मार-पीट, दाना-पानी, कन्द-मूल-फल, आगा-पीछा, दूध-रोटी, दूध-रोटी, लोटा-डोर, मोटा-ताजा खान-पान, दो-चार, फल-फूल, मोल-तोल, लीपा-पोती, इत्यादि।

किसी पैराग्राफ में किसी अधूरे शब्द के आगे या उसको पूरा लिखा नहीं जा रहा हो तो उसके आगे योजक चिन्ह लगाकर अगली लाईन में शेष बचा हुआ शब्द लिखा जाता है।

Yojak Chinh दो शब्दों को जोड़ता है और दोनों को मिलाकर एक समस्त पद बनाता है, लेकिन दोनों का स्वतन्त्र अस्तित्व बना रहता है। जैसेमाता पिता, जीना-मरना, भला-बुरा, मम्मी-पापा, दादा-दादी,  लड़का लड़की, धर्म-अधर्म, पाप-पुण्य इत्यादि ।

अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण या तुलनवाचक ‘सा’, ‘सी’ या ‘से’ से पहले योजक चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- बहुत-सा काम, सोने-का सा काम, कम-से-कम, दीपक-सा भाई, यशोदा-सी माता, विभीषण-सा भाई।

तत्पुरुष समास के सामासिक पद के दोनों पदों के बीच योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- देश-भक्ति, हवन-सामग्री, दिल-तोड़ मुँह-बोली आदि।

तुकबंधी वाले निरर्थक शब्द जिनका उपयोग हम आम भाषा में करते है उन शब्दों के मध्य भी Yojak Chinh का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- फल-वल, चाय-वाय, आलू-फालू पानी-वानी, छाछ -वांछा इत्यादि।

प्रेरणार्थक क्रिया में प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया और द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया के शब्दों के बीच योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- गिराना-गिरवाना, काटना-कटवाना उड़ना-उड़ाना, चलना चलाना, उठाना-उठवाना, गिरना- गिराना, फैलना फैलाना, पीना – पिलाना, ओढ़ना-उढ़ाना, सोना-सुलाना, सीखना – सिखाना इत्यादि।

समान शब्द की पुनरावृति होने पर दोनों शब्दों के बीच योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- नगर-नगर, घर-घर, शहर-शहर, बात-बात, राम-राम, बीच-बीच,गाँव-गाँव, आगे-आगे, पीछे-पीछे, शहर-शहर, नगर-नगर इत्यादि।

परिमाणवाचक और रीतिवाचक क्रियाविशेषण में प्रयुक्त दो अव्ययों तथा ‘ही’, ‘से’, ‘का’, ‘न’ आदि के मध्य Yojak Chinh का व्यवहार होता है। जैसेबहुत-बहुत, थोड़ा-थोड़ा, थोड़ा-बहुत कम-कम, कम बेश, धीरे-धीरे, जैसे-तैसे, आप-ही-आप, बाहर भीतर, आगे पीछे,

Yojak Chinh के उदाहरण

सुख-दुःखभूल-चूक
ऊंच-नीचएक-तिहाई
देश-भक्तिशहर-शहर
गांव-गांवयश-अपयश
कहना-सुननाभीड़-भाड़
थोड़ा-बहुतदिल-तोड़
समझ-बूझमानव-शरीर
बच्चा-बच्चारात-दिन
कंस-वधबूंद-बूंद
फल-फूलहार-जीत
कपड़े-लत्तेराम-राम
कम-से-कमडाल-पात
आना-जानाकृष्ण-लीला
तारे-सितारेमारना-पीटना
मारना-पीटनादाल-भात
लेन-देनमानव-जीवन
दूध-रोटीभरत-सा-भाई
इधर-उधरघास-फूस

योजक चिन्ह का प्रयोग कहाँ किया जाता है?

योजक चिन्ह का प्रयोग दो समान अर्थ वाले या विपरीत अर्थ वाले शब्दों को जोड़ने के लिए किया जाता है.

अंग्रेजी में योजक चिह्न को क्या कहते हैं?

अंग्रेजी में योजक चिह्न को hyphen कहते हैं।

योजक चिह्न का अर्थ क्या होता है?

योजक चिह्न वह चिह्न होता है जो दो शब्दों या वाक्यों को मिलाने का काम करता है। इस चिह्न को हम हमेशा दो शब्दों के बीच इस्तेमाल करते हैं।

निर्देशक चिन्ह और योजक चिन्ह में क्या अंतर है?

निर्देशक चिन्ह का प्रयोग किसी विषय के साथ उससे सम्बंधित अन्य बातों की जानकारी देने के लिए किया जाता है, जबकि योजक चिन्ह का प्रयोग दो समान या विपरीत अर्थ वाले शब्दों को जोड़ने के लिए किया जाता है।

कौन से समास में योजक चिह्न का प्रयोग होता है?

तत्पुरुष समास एवं द्वन्द्व समास में योजक चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

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